भोपाल। प्रदेश में पदस्थ ब्यूरोक्रट्स पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो उन्हें केंद्रीय तिथि से डीए नहीं मिल रहा है। उन्हें एरियर भी नहीं मिल रहा है। वहीं एनपीएस में होने वाली कटौती का भी नुकसान हो रहा है। इस तरह प्रदेश में पदस्थ अखिल भारतीय सेवाओं आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के लगभग 3 हजार अफसरों को 4-5 लाख रुपए का घाटा हो रहा है। वहीं जो अफसर केंद्र या अन्य राज्यों में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं उन्हें केंद्रीय तिथि से डीए मिलए रहा है। वेतन विसंगति को लेकर अफसरों में दिन पर दिन रोष बढ़ रहा है। हैरत की बात यह है कि इन सेवाओं के मप्र के ही जो अफसर डेपुटेशन पर अन्य राज्यों में हैं, उन्हें केंद्रीय तिथि से डीए मिल रहा है। इस लिहाज से एक ही बैच के उस अफसर को ज्यादा पैसा मिल रहा है जो प्रदेश से बाहर हैं, लेकिन उन्हें कम पैसा मिल रहा है, जो प्रदेश में ही पदस्थ हैं। यही कारण है कि अब केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता देने को लेकर अखिल भारतीय सेवाओं के अफसर लामबंद होने लगे हैं। महंगाई भत्ते में प्रदेश में कार्यरत अखिल भारतीय सेवा के अफसर और कर्मचारी 3 प्रतिशत पिछड़ गए हैं।
इस तरह हो रहा प्रदेश में पदस्थ अफसरों का नुकसान
केंद्र सरकार जनवरी से बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता तीन महीने के एरियर के साथ दे चुकी है। वहां 34 प्रतिशत डीए हो गया है, जबकि प्रदेश में 31 प्रतिशत ही मिल रहा है। पहले प्रदेश में अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को केंद्रीय तिथि से महंगाई भत्ता मिलता था। राज्य सरकार एरियर भी देती। इसी तरह केंद्र सरकार ने एनपीएस सिस्टम 1 जनवरी 2004 से शुरू किया। राज्य सरकार ने इसे 1 जनवरी 2005 से शुरू किया है। एक ही बैच के अफसर जो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति या अन्य राज्यों में है, उनकी एनपीएस में होने वाली मंथली कटौती 3 से 5 हजार रुपए बढ़ गई, लेकिन मप्र में पदस्थ केंद्रीय सेवा के अफसरों को यह राशि नहीं मिल रही।
एनपीएस वालों को हर महीने 1 हजार से 1500 रुपए तक का नुकसान
प्रदेश में 1 जनवरी 2005 के बाद सेवा में आए कर्मचारियों की संख्या 4.50 लाख हो गई है। ये कर्मचारी भी केंद्रीय तिथि से डीए न मिलने से 3 प्रतिशत पिछड़ गए हैं। इन कर्मचारियों का एनपीएस में होने वाली कटौती में डीए न बढऩे से हर महीने 1 हजार से 1500 रुपए तक का नुकसान हो रहा है। कटौती कम होने से कर्मचारियों को पेंशन और अन्य मिलने वाले लाभों में नुकसान होगा। वहीं राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) वाले कर्मचारियों की संख्या ज्यादा हो गई है। पुरानी पेंशन वाले पात्र कर्मचारियों की यह कटौती नहीं होती है, इसलिए उन्हें सिर्फ डीए के एरियर का ही नुकसान होता है।
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