भोपाल: इस लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में बीजेपी (BJP) को बड़ा उलट फेर देखने को मिला. बीजेपी को जो उम्मीद थी, वैसा बिल्कुल भी नहीं हुआ. खासकर, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से पार्टी को जितनी सीटें मिलने की उम्मीद थी, वो नहीं मिलीं. लेकिन, इस बीच मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में जो हुआ वो ऐतिहासिक है. प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं ने लोकसभा चुनाव के प्रचार में कहा था कि हम सभी 29 की 29 सीटें जीतेंगे. उन्होंने जो कहा, वो किया भी. बीजेपी ने 29 सीटें जीतकर प्रदेश में क्लीन स्वीप (clean sweep) किया. इस जीत में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने जबरदस्त मेहनत की. जब पार्टी ने उन्हें विदिशा से चुनाव का टिकट दिया तो वे पूरी तरह तैयारियों में जुट गए.
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनाव को 8 लाख वोटों के अंतर से जीता. उनकी इस जीत के बाद अब उनका कद बहुत बढ़ गया है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अब केंद्र सरकार में उनका खासा दखल बढ़ जाएगा. केंद्र सरकार को उनकी जरूरत महसूस होगी. क्योंकि, शिवराज बीजेपी के उन नेताओं में शुमार हो गए हैं, जो पार्टी की गाइड लाइन से हटकर नहीं जाते. वे केंद्र के निर्देशों का हूबहू वैसा ही पालन करते हैं, जैसे एक आम कार्यकर्ता.
बता दें, राजस्थान में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जब प्रदेश का नया मुखिया एक नए नेता को बनाया तो कई वरिष्ठ नेताओं को ठेस लगी थी. इसका असर राजस्थान लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला है. लेकिन, शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद त्यागने के बाद भी केवल वही किया जो पार्टी ने कहा. इसलिए पार्टी के लिए अब वो और महत्वपूर्ण हो गए हैं. सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान को सरकार केंद्र में कोई बड़ा पद दे सकती है. हालांकि, शिवराज सिंह चौहान हमेशा यह कहते आए हैं कि वे आम कार्यकर्ता हैं. पार्टी उन्हें जो काम सौंपेगी, वे वही जिम्मेदारी संभालेंगे.
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