नई दिल्ली। साल 2020-21 का आखिरी दिन (The last day of the year 2020-21) भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) के लिए मंदी का दिन जरूर रहा, लेकिन अगर पूरे साल की बात की जाए तो ये वित्त वर्ष शेयर बाजार (stock market) में सकारात्मक संकेतों के साथ बंद हुआ है।
इस साल भारतीय शेयर बाजार और देश की अर्थव्यवस्था पर कोरोना संक्रमण का लगातार दबाव बना रहा। इस वजह से बाजार में गिरावट का रुख भी बनता रहा, लेकिन ओवरऑल परफॉर्मेंस की बात की जाए, तो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) दोनों से ही निवेशकों को अच्छी कमाई हुई। इस साल सेंसेक्स और निफ्टी सहित सभी सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए हैं। वित्त वर्ष 2020-21 में निफ्टी ने 73 फीसदी का उछाल दिखाया। वहीं सेंसेक्स में 70 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है।
सेक्टर्स की बात करें तो बीएसई मेटल इंडेक्स ने 150 फीसदी रिटर्न दिया है। आईटी और ऑटो इंडेक्स ने भी इस वित्त वर्ष में 100 फीसदी से अधिक की तेजी दिखाई। वित्त वर्ष 2020-21 में कमाई के लिहाज से मेटल, आईटी और ऑटो सेक्टर फ्रंट सीट पर कारोबार करते रहे, वहीं पीएसयू बैंक, फार्मा और एफएमसीजी सेक्टर का प्रदर्शन निफ्टी की तुलना में कमजोर रहा है।
इस वित्त वर्ष में जहां निफ्टी में ओवरऑल 73 फीसदी की बढ़त देखने को मिली, वहीं निफ्टी एफएमसीजी में 27 फीसदी, पीएसयू बैंक में 61 फीसदी, निफ्टी फार्मा में 70 फीसदी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज इंडेक्स में 72 फीसदी की तेजी बनी है। अगर पीएसयू बैंक के शेयरों की बात करें तो इनका प्रदर्शन 2020 के शुरुआत से ही अच्छा नहीं रहा है। इनमें साल के उत्तरार्ध वाले हिस्सों में बड़ा करेक्शन देखने को मिला है।
धनी सिक्योरिटीज के मार्केट रिसर्च हेड विशाल बिष्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 पीएसयू बैंक के लिए नकारात्मक रुझान के साथ शुरू हुआ था। रिजर्व बैंक की तरफ से दरों में की गई कटौती के चलते इस सेगमेंट के शेयरों में कुछ बढ़त देखने को मिली थी, लेकिन कोरोना के चलते लागू किए गए लोन मोरेटोरियम से इनके शेयरों पर दबाव बन गया। इसके साथ ही एनपीए को लेकर बढ़ती चिंता ने भी इस सेक्टर को काफी चोट पहुंचाया।
बाजार के जानकारों का कहना है कि नए साल यानी 2021-22 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मिले जुले ट्रेंड के साथ ग्रोथ भी दिख सकती है। दो बैंकों के निजीकरण और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के सरकार के फैसले का सेक्टर पर अच्छा असर दिख सकता है। इसके साथ ही स्टेट बैंक, यूनियन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक का निजीकरण नहीं करने का सरकार का फैसला बैंकिंग सेक्टर के लिए पॉजिटिव रहा है, लेकिन इस सेक्टर पर वर्क परफॉर्मेंस का भारी दबाव और आरबीआई की चिंता का असर भी दिखना शुरू हो गया है। साथ ही बैंकों की ऐसेट क्वांटिटी में संभावित कमजोरी से इस बात का संकेत भी मिल रहा है कि इस सेक्टर के लिए नए साल की डगर बहुत आसान नहीं रहने वाली है।
विशाल बिष्ट के मुताबिक वित्त वर्ष के पहले छह महीने में फार्मा सेक्टर ने अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन अगली छमाही में फार्मा कंपनियां अपना मोमेंटम बरकरार नहीं रख सकीं। इसके कारण इस सेक्टर में लगातार उतार चढ़ाव बना रहा। हालांकि इस साल के बजट में सरकार ने हेल्थकेयर पर फोकस बढ़ाया है, जिसके कारण इस साल फार्मा सेक्टर के दिन बेहतर भी हो सकते हैं। इसके साथ ही इस सेक्टर में प्रोडक्शन और प्रॉफिट मार्जिन भी कोविड काल के पहले के स्तर तक पहुंच गए हैं। ऐसे में इस सेक्टर का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ने के पूरे आसार बनने लगे हैं, जो निवेशकों को इस सेक्टर में उछाल के रूप में फायदा पहुंचा सकते हैं। (एजेंसी, हि.स.)
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