हरिद्वार (Haridwar) । हरिद्वार (Haridwar) शहर के ज्वालापुर क्षेत्र के आर्यनगर में सड़क में बाधक बन रही,चंदन पीर नाम की मजार को धामी सरकार के बुल्डोजर ने ध्वस्त कर दिया और उसका मलबा साफ कर दिया। इस मजार को लेकर मुस्लिम समुदाय ने तब विरोध करना शुरू किया था जब नगर निगम ने इन्हे नोटिस दिया था।
बता दें कि हरिद्वार शहर के लिंक मार्ग पर बनी ये मजार आरएसएस (RSS) कार्यालय के पच्चास मीटर की दूरी पर थी और यहां जगह घेर कर सड़क को संकरा कर दिया था। तीर्थ सनातन नगरी हरिद्वार में मस्जिद कोई नही बनी है लेकिन मुस्लिम लोगो द्वारा धीरे धीरे सात मजारे यहां खड़ी कर दी गई थी। इस खबर की जानकारी ” पाञ्चजन्य” ने प्रकाशित की थी। जिसके बाद धामी सरकार एक्शन में आई सबसे पहले सिंचाई विभाग के पुराने दफ्तर में बनी दो मजारे ध्वस्त की गई उसके बाद श्यामपुर रेंज की चार मजारे ध्वस्त की गई।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर जिला प्रशासन का कई सौ वर्षों पुराने चंदन वाले पीर की मजार को हटाए जाने पर कांग्रेस ने नाराजगी व्यक्त की। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष सतपाल ने कहा कि इससे लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं, लेकिन जिला प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए समाधान निकाला जा सकता था, लेकिन हठधर्मिता के चलते दरगाह को हटाया गया है। प्रशासन द्वारा मुस्लिम समाज से इस मामले को लेकर बातचीत चल रही थी। लेकिन अचानक शनिवार को मजार को हटा दिया गया है। प्रशासन की कार्रवाई से मुस्लिम समाज में भी रोष बना हुआ है।
उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की कि मजारों और मंदिरों से लोगों की भावनाएं जुड़ी रहती हैं। सड़क के विकास के साथ-साथ प्रशासन मजारों और मंदिरों का भी विकल्प तलाश सकता है। लेकिन जल्दबाजी में इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि दरगाहें हिन्दू-मुस्लिम एकता का संदेश भी देते हैं। दोनों ही समुदायों की भावनाएं दरगाहों से जुड़ी रहती हैं। मुख्यमंत्री को तत्काल मजार एवं मंदिरों पर बुलडोजर चलाए जाने की कार्रवाई को बंद करना चाहिए। सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि सिंहद्वार फ्लाईओवर के नीचे लंबे समय से भगवान हनुमान का मंदिर बना हुआ था, जिसमें प्रतिदिन पूजा अर्चना भी होती थी। लेकिन भाजपा सरकार ने उसे भी ध्वस्त कर दिया। एक तरफ भाजपा बजरंग बली के नाम पर कर्नाटक में वोट मांगती है। दूसरी और उत्तराखंड में बजरंग बली के मंदिर को ध्वस्त कर दिया जाता है। जिससे सरकार की कथनी और करनी का अंतर सामने आ गया है।
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