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    बुलबुले हिंद की सिंगिंग नहीं एक्टिंग से हुई थी शुरुआत, मजेदार थी किशोर दा संग मुलाकात

  • September 28, 2023

    नई दिल्‍ली (New Dehli)। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar)ने अपनी आवाज के जादू (The magic of the voice)से हर दिन को काबू किया था और उनकी आवाज की खनक आज भी लोगों के दिलों को छू (touch hearts)जाती है। महाराष्ट्र में एक थिएटर कंपनी (theater company)चलाने वाले अपने जमाने के मशहूर कलाकार दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी लता का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ था। ये लता की आवाज का कमाल था कि उन्हें स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद और कोकिला जैसे सारे विशेषण दिए गए। आज लता मंगेशकर की 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है और ऐसे में हम आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें…


    नाम बदलकर दिया था संगीत
    लता मंगेशकर, संगीतकार आनंदघन भी थीं। अगर आप इस बात को नहीं समझे तो हम समझाते हैं… दरअसल 60 के दशक में संगीतकार आनंदघन ने चार मराठी फिल्मों का म्यूजिक दिया था। रिपोर्ट के मुताबिक मराठी फिल्म साधी माणस को सर्वश्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार मिला था और तब पता लगा था कि संगीतकार आनंदघन कोई और नहीं बल्कि खुद लता मंगेशकर हैं, जो नाम बदलकर संगीत देती थीं।

    लता को दिया गया था धीमा जहर
    लता मंगेशकर से इंटरव्यू करने के बाद लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर ने अपनी किताब में बताया था कि स्वर कोकिला को धीमा जहर दिया गया था। किताब में लिखा था कि एक गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान लता ने कहा था, ‘1962 में मैं एक महीने के लिए बीमार हो गई थी। मेरे पेट का एक्स-रे लिया गया और मुझे बताया गया कि मुझे धीमा जहर दिया गया है। हमारे घर पर एक ही नौकर था जो खाना बनाता था। उस दिन वो नौकर बिना बताए निकल गया, पैसे भी नहीं लिए। तब हमें लगा कि किसी ने उसे हमारे घर पर रखवा दिया था। हम नहीं जानते वो कौन था… तीन महीने तक मैं बिस्तर पर थी। तब मजरूह साहब ने मेरी मदद की थी। वो रोज शाम को घर आते और तीन महीने तक सिलसिला जारी रहा। मैं जो खाती, वो भी वही खाते।’

    सिंगिंग नहीं एक्टिंग से हुई थी शुरुआत
    अपनी मधुर आवाज से हर दिल को जीतने वालीं लता मंगेशकर का सिनेमाई सफर बतौर एक्ट्रेस शुरू हुआ था। दरअसल बचपन में पिता के गुजरने के बाद लता मंगेशकर ने छोटे-मोटे रोल कर परिवार के लिए पैसे कमाए। लेकिन उन्हें एक्टिंग, मेकअप आदि बिलकुल भी पसंद नहीं था, बल्कि वो गाना पसंद करती थीं। संगीत निर्देशक उस्ताद ग़ुलाम हैदर ने लता मंगेशकर की आवाज पर भरोसा किया और उन्हें कई निर्देशकों के पास लेकर गए, लेकिन 19 वर्षीय लता की पतली आवाज को करीब सभी ने नकार दिया। लेकिन ग़ुलाम हैदर ने हार नहीं मानी और फिल्म मजबूर में लता से मुनव्वर सुल्ताना के लिए प्लेबैक करवाया। इसके बाद लता को कमाल अमरोही की फिल्म महल में ‘आएगा आने वाला’गाना गाया और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

    किशोर कुमार और लता की मजेदार मुलाकात
    सिंगर किशोर कुमार की और लता मंगेशकर की शुरुआती मुलाकात काफी मजेदार थी। लता मंगेशखर ने मीडिया से बातचीत के दौरान एक किस्सा सुनाते हुए कहा था, ’40 के दशक में जब मैंने फिल्मों में गाना शुरू ही किया था। तब मैं अपने घर से लोकल पकड़कर मलाड जाती थी और वहां से उतरकर स्टूडियो पैदल जाती… रास्ते में किशोर दा भी मिलते, लेकिन मैं उनको और वो मुझे नहीं पहचानते थे। किशोर दा मेरी तरफ देखते रहते… कभी हंसते… कभी अपने हाथ में पकड़ी छड़ी घुमाते रहते। मुझे उनकी हरकतें अजीब सी लगतीं… मैं उस समय खेमचंद प्रकाश की एक फिल्म में गाना गा रही थी। एक दिन किशोर दा भी मेरे पीछे-पीछे स्टूडियो पहुंच गए, तो मैंने खेमचंद जी से शिकायत कर दी कि ये लड़का मेरा पीछा करता रहता है, मुझे देखकर हंसता है। तब उन्होंने कहा कि अरे, ये तो अपने अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर है। फिर उन्होंने मेरी और किशोर दा की मुलाकात करवाई और हमने उस फिल्म में साथ में पहली बार गाना गाया।’

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