कठुआ (kathua) । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने सोमवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में बताया था कि जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में 105 करोड़ रुपये की लागत से ऐसी जेल तैयार की जा रही है, जहां सिर्फ आतंकियों को रखा जाएगा. यह जेल कठुआ जिले के महानपुर में तैयार की जा रही है. शाह ने इस साल की शुरुआत में इस निर्माणाधीन जेल का दौरा भी किया था.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में बताया था कि जम्मू कश्मीर में 105 करोड़ रुपये की लागत से ऐसी जेल तैयार की जा रही है, जहां सिर्फ आतंकियों को रखा जाएगा. यह जेल कठुआ जिले के महानपुर में तैयार की जा रही है. शाह ने इस साल की शुरुआत में इस निर्माणाधीन जेल का दौरा भी किया था.
105 करोड़ की लागत से बन रही जेल
उन्होंने कहा कि कश्मीर में 105 करोड़ रुपए की लागत से आतंकवादियों के लिए एक जेल बनाई जा रही है, जिसकी सुरक्षा कोई भेद नहीं पाएगा. उन्होंने कहा कि आतंकवाद के प्रति सहानुभूति रखने वाले बार काउंसिल के लोगों को भी संदेश दे दिया गया है और रोजगार, पासपोर्ट एवं सरकारी ठेकों के लिए हमने ढेर सारे कदम उठाए हैं.
बता दें कि मौजूदा समय में जम्मू में ऐसी 14 जेलें हैं, जिनमें दो केंद्रीय और 10 जिला कारावास हैं. इनमें एक विशेष जेल भी है. इन जेलों में 3629 कैदियों को रखे जाने की क्षमता है. लेकिन प्रशासन यहां 5300 और कैदियों को रखने की दिशा में काम कर रहा है.
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद का ग्राफ
अमित शाह ने राज्यसभा में चर्चा के दौरान बताया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की वजह से 42 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है. इससे पहले लोकसभा में इन बिलों पर चर्चा के दौरान शाह ने बताया था कि 1994 से 2004 के बीच जम्मू-कश्मीर में 40,164 आतंकी घटनाएं हुई थीं. 2004 से 2014 के बीच 7,217 घटनाएं हुई थीं. जबकि, मोदी सरकार के 2014 से 2023 के कार्यकाल में करीब दो हजार घटनाएं हुई हैं.
अमित शाह ने कहा था कि इसलिए हम कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद की वजह कुछ और नहीं, बल्कि अनुच्छेद 370 था.
क्या है काला पानी की सजा?
अंडमान के पोर्ट ब्लेयर में पहली बार 1906 में सेल्युलर जेल बनाई गई थी. ब्रिटिश शासन के दौरान कैदियों को यहां एकांत कारावास में रखा जाता था. यहां कैदियों के साथ बेहद सख्ती की जाती थी. उन्हें शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाता था. यही वजह थी कि इसे काला पानी की सजा कहा जाता था.
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