लखनऊ । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा कि स्वस्थ भारत से ही (Only through Healthy India) समर्थ भारत का निर्माण संभव है (Building Strong India is possible) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ के संकल्प को साकार करने की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब एक अभिनव पहल की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेवानिवृत्त हो चुके आईएएस, आईपीएस, पूर्व कुलपतिगणों/शिक्षाविदों व अन्य वरिष्ठ नागरिकों को ‘निक्षय मित्र’ की बड़ी जिम्मेदारी दी है। ‘निक्षय मित्र’ के रूप में यह वरिष्ठ नागरिक ‘टीबी उन्मूलन’ के प्रयासों में जनजागरूकता बढ़ाने के लिए सहयोग करेंगे। गुरुवार को मुख्यमंत्री ने इस संबंध में सभी के साथ बैठक की और टीबी मुक्त उत्तर प्रदेश अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग का आह्वान किया।
विशेष बैठक में मुख्यमंत्री ने सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और पूर्व कुलपतिगणों का स्वागत करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के ‘टीबी मुक्त भारत’ के संकल्प के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ भारत से ही समर्थ भारत का निर्माण संभव है और जब भारत समर्थ होगा तभी शक्तिशाली होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030 तक विश्व को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा था, जिसे मिशन मोड में लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लिए वर्ष 2025 तक का लक्ष्य रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व में सबसे अधिक टीबी रोगी भारत मे हैं और भारत को टीबी मुक्त करने के लिए सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश में टीबी उन्मूलन अनिवार्य है। मुख्यमंत्री ने टीबी उन्मूलन की दिशा में पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में हुए प्रयासों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में टीबी रोगियों की जांच पहले के मुकाबले चार गुना हो गई है। नैट एवं एक्सरे मशीनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। प्रदेश में टीबी उपचार की सफलता दर पिछले चार वर्षों में 79 प्रतिशत से बढ़कर 92 प्रतिशत हो गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि निःक्षय पोषण योजनान्तर्गत डीबीटी के माध्यम से लगभग 27 लाख टीबी रोगियों के खाते में 775 करोड़ रुपये की धनराशि का भुगतान हो चुका है। इसी तरह, फेफड़े के टीबी रोगियों के साथ रहने वालों को टीबी रोग न हो, उन्हें टीबी से बचाव का उपचार दिया जा रहा है। टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में जनभागीदारी के महत्व पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक 45 हजार से अधिक निःक्षय मित्रों द्वारा टीबी रोगियों को गोद लिया गया है और प्रदेश की 1372 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने सभी से सहयोग का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी ने लंबे समय तक समाज के बीच कार्य किया है। सभी सुदीर्घ अनुभव रखते हैं। अब सेवानिवृत्ति के बाद आप सभी इस राष्ट्रीय मिशन में सहयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह सबका साझा दायित्व है कि कोई भी टीबी का रोगी छूटने न पाये और जिनको भी टीबी से ग्रसित पाया जाए, उनको तत्काल सही और निरंतर चिकित्सा उपचार उपलब्ध कराया जाए। उनको अतिरिक्त पोषण उपलब्ध कराया जाए और कोई न कोई निःक्षय मित्र उनसे जुड़कर उनका सहारा बने। इसके साथ ही उनके परिवार के शेष सदस्यों की भी जांच कराकर उचित चिकित्सा परामर्श एवं उपचार उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि टीबी रोगी समाज का अंग हैं, समाज में उनको सम्मान प्रदान कराया जाना, हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए। निक्षय मित्र के रूप में सभी सेवानिवृत्त आईएएस/आईपीएस और पूर्व कुलपतिगण टीबी मरीजों को गोद लें, उन्हें उपचार के बारे में जानकारी दें और समुचित सहायता उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि टीबी उन्मूलन अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी के लापता रोगियों को खोजना, टीबी की मृत्यु दर को कम करना एवं स्वस्थ व्यक्तियों को टीबी के संक्रमण से बचाना है। प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार पूर्णतः प्रतिबद्ध है और प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों की भागीदारी अति आवश्यक है। बैठक में उपस्थित सभी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों और कुलपतिगणों ने मुख्यमंत्री के आह्वान के लिए आभार जताया और सहयोग के लिए शपथ भी ली।
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