इंदौर। नगर निगम द्वारा अभी अवैध निर्माणों के मामलों में सख्ती की जा रही है। आयुक्त प्रतिभा पाल ने राजगढ़ कोठी के दो भूखंडों पर आलीशान बंगलों की भवन अनुज्ञा निरस्त कर दी, साथ ही कालोनाइजर लाइसेंस भी निरस्त करने का नोटिस थमाया जा रहा है। पिछले दिनों 6 से लेकर 4 करोड़ रुपए कीमत के इन बंगलों की बुकिंग के संबंध में विज्ञापन प्रकाशित हुए, जबकि रेरा सहित अन्य अनुमतियां अभी बाकी हैं। इसी तरह रहवासी अनुमति पर व्यावसायिक उपयोग के मामले में एक बिल्डिंग को भी सील करवाया गया, वहीं उसके पास भी एक अन्य बिल्डिंग पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी, जहां हॉस्पिटल का संचालन किया जा रहा है। निगम ने सिंधु नगर स्थित भूखंड क्र. 3 पर बनी बिल्डिंग को बिना भवन पूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र के व्यावसायिक उपयोग करने पर उपरोक्त कार्रवाई की गई।
इस व्यावसायिक निर्माण के संबंध में सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की गई, जिसके चलते झोन क्र. 12 के भवन अधिकारी ने पिछले दिनों निरीक्षण किया तो एमओएस सहित अन्य गड़बड़ियां पाई गईं। बेसमेंट का निर्माण भी बिना अनुमति कर लिया गया। भवन स्वामी लोकचंद हुकुमचंद मेघानी को सिंधु नगर के भूखंड क्र. 3 पर जी प्लस थ्री की अनुमति कमर्शियल कम रेसीडेंसी की दी गई थी, जिसके विपरीत निर्माण तो पाया ही, वहीं तलघर निर्माण करने के साथ भवनपूर्णता और अधिभोग प्रमाण-पत्र भी लिए बिना व्यावसायिक उपयोग कर दिया। मौके पर बाय ज्यूस ट्यूशन सेंटर चल रहा था। लिहाजा निगम ने आयुक्त के निर्देश पर उक्त बिल्डिंग को सील कर दिया। कालोनी सेल और बिल्डिंग परमिशन प्रभारी अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक इसी तरह की कार्रवाई बगल में हुए एक अवैध निर्माण पर भी की जाएगी, जिसमें हॉस्पिटल का संचालन इसी तरह कर लिया गया।
वहीं दूसरी तरफ एक बड़ी कार्रवाई राजगढ़ कोठी के ब्लॉक क्र. 8 और 9 पर भी की गई, जिसमें महेश पिता हरीशचंद्र शर्मा को भवन अनुज्ञा 31 मई को जारी की गई थी। मगर मीडिया में अभी शहर के एक प्रतिष्ठित समूह द्वारा यहां पर आलीशान बंगलों के निर्माण की बुकिंग का प्रचार-प्रसार किया गया। 2700 स्क्वेयर फीट पर बने बंगले की कीमत 5.85 करोड़ और 1710 स्क्वेयर फीट पर बनने वाले बंगले की कीमत 4 करोड़ रुपए दर्शाई गई। शहर के मध्य में सिल्वर इंदिरा एन्क्लेव के नाम से इन बंगलों का निर्माण किया जा रहा है। मगर उक्त समूह द्वारा विज्ञापन में यह उल्लेख नहीं किया गया कि निगम से विधिवत अनुमति ली अथवा नहीं और रेरा पंजीयन क्रमांक का भी उल्लेख नहीं है। जनता को गुमराह और शर्तों के उल्लंघन के चलते निगम ने उक्त बंगलों के निर्माण की भवन अनुज्ञा निरस्त कर दी।
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