नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार (21 अप्रैल) को दिल्ली सरकार के रुपये का उपयोग करने के अनुरोध की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ECC) फंड से 500 करोड़ रुपये दिल्ली को मेरठ से जोड़ने वाले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTC) के लिए योगदान करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केंद्र और हरियाणा, राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी को दिल्ली को अलवर और पानीपत से जोड़ने वाले अन्य लंबित आरआरटीसी कॉरिडोर परियोजनाओं के लिए उपयुक्त बजटीय आवंटित करने का निर्देश भी दिया है.
आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने दिल्ली मेरठ आरआरटीसी प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दी है. सरकार ने ये मंजूरी दिल्ली के भीतर पड़ने वाले 13 किमी. लंबे कॉरिडोर के लिए 1180 करोड़ रुपये निवेश करने पर बनी है. दिल्ली से 265 करोड़ की पहली किस्त मार्च 2019 में आई थी जब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिल्ली में प्रवेश करने वाले ट्रकों और अच्छे वाहनों से इकट्ठे होने वाले ईसीसी फंड से ये भुगतान करने की अनुमति दी थी. इसके बाद से दिल्ली की ओर से कोई भुगतान नहीं किया गया.
आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से किया अनुरोध
इसके बाद जनवरी के महीने में आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर एक आवेदन में उन्हें ईसीसी फंड से रुपये का एक और ड्रॉ लेने की अनुमति देना का अनुरोध किया था. ये अनुरोध दिल्ली मेरठ आरआरटीएस के लिए बकाया हिस्से 500 करोड़ रुपये के भुगतान का था.
सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी
जस्टिस संजय किशन कौल और एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने राज्य के अनुरोध को स्वीकार कर लिया, क्योंकि पीठ ने पाया कि ईसीसी फंड के तहत, दिल्ली ने 1126 करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठे किए थे. इसको लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने इस तर्क का समर्थन करते हुए कहा कि आरआरटीएस दिल्ली के पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है और इस तरह के उपाय को वित्त की कमी के लिए नहीं रखा जाना चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि आरआरटीएस के पहले चरण के तहत शेष दो कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी जानी बाकी है. एनसीआरटीसीएल के दायर एक आवेदन में कहा गया है कि रेवाड़ी से गुजरने वाली दिल्ली-अलवर आरआरटीएस परियोजना को केंद्र की मंजूरी का इंतजार है, जबकि दिल्ली-पानीपत आरआरटीएस को दिल्ली सरकार की मंजूरी का इंतजार है.
कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को चार सप्ताह में इस संबंध में निर्देश देने का निर्देश देते हुए कहा, “ध्यान दें कि दो परियोजनाओं के संबंध में बजटीय आवंटन केंद्र और संबंधित राज्यों दोनों की ओर से किया जाना है.” वहीं, हरियाणा सरकार की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ता आलोक सांगवान ने अदालत को सूचित किया कि राज्य ने अपनी सभी मंजूरी दे दी है और परियोजना के शुरू होने की प्रतीक्षा कर रहा है.
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