– योगेश कुमार गोयल
1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत का आम बजट पेश किया गया। बजट निर्माण की पूरी जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की होती है और यह लगातार छठा ऐसा अवसर है, जब उन्होंने देश का आम बजट पेश किया। संसद की दोनों सभाओं के समक्ष रखा जाने वाला ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ केन्द्र सरकार का बजट कहलाता है, जो देश के विकास को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा कारक होता है। भविष्य की योजनाओं और उद्देश्यों के आधार पर बजट एक निश्चित अवधि के लिए पूर्व निर्धारित राजस्व और व्यय का अनुमान होता है, जो भविष्य की वित्तीय स्थितियों को दर्शाता है और वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। बजट के जरिये सरकार आर्थिक नीतियों को लागू करती है और हर साल पेश किए जाने वाले बजट का मुख्य उद्देश्य दुर्लभ संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना है। इस दस्तावेज में आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आय और व्यय पर विस्तृत टिप्पणियां दी जाती हैं।
बजट एक ऐसा दस्तावेज है, जो प्रबंधन व्यवसाय के लिए अपने लक्ष्यों के आधार पर आगामी अवधि के लिए राजस्व और खर्चों का अनुमान लगाने के लिए बनाया जाता है। केन्द्रीय बजट को राजस्व बजट तथा पूंजीगत बजट में वर्गीकृत किया जा सकता है। बजट में शामिल प्रस्ताव संसद की स्वीकृति मिल जाने के बाद 1 अप्रैल से लागू हो जाते हैं, जो अगले साल 31 मार्च तक लागू रहते हैं।
दरअसल भारत में वित्त वर्ष प्रतिवर्ष एक अप्रैल से शुरू होकर 31 मार्च को समाप्त होता है और बजट के विवरण में इस पूरे वित्तीय वर्ष के लिए भारत सरकार की अनुमानित प्राप्तियों तथा व्यय का ब्यौरा शामिल होता है। सरल शब्दों में कहें तो बजट आगामी वित्त वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना होती है, जिसके जरिये यह तय करने का प्रयास किया जाता है कि सरकार अपने राजस्व की तुलना में खर्च को किस हद तक बढ़ा सकती है। यह कवायद इसीलिए होती है क्योंकि सरकार को अपने राजकोषीय घाटे का एक लक्ष्य हासिल करना होता है। बजट आमतौर पर तीन प्रकार का होता है, संतुलित बजट, अधिशेष बजट और घाटे का बजट। संतुलित बजट में आय और खर्च की मात्रा का समान होना जरूरी है जबकि अधिशेष बजट में सरकार की आय खर्चों से अधिक होती है और घाटे के बजट में सरकार के खर्च उसकी आय के स्रोतों से अधिक होते हैं। सरकारी बजट तीन प्रकार के होते हैं, परिचालन या चालू बजट, पूंजी या निवेश बजट और नकदी या नकदी प्रवाह बजट। सरकार की आय के प्रमुख साधनों में विभिन्न प्रकार के कर और राजस्व, सरकारी शुल्क, जुर्माना, लाभांश, दिए गए ऋण पर ब्याज आदि तरीके शामिल होते हैं।
बजट की पहले कुछ प्रतियां ही छपती थी लेकिन अब बजट पूरी तरह डिजिटल हो गया है। 2016 तक फरवरी माह के अंतिम दिन आम बजट पेश किया जाता था किन्तु 2017 में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने का दिन बदल कर 1 फरवरी कर दिया। 1999 तक बजट भाषण फरवरी के अंतिम कार्यदिवस पर शाम पांच बजे पेश किया जाता था लेकिन 1999 में यशवंत सिन्हा ने इसे बदल कर सुबह 11 बजे कर दिया। 2017 से पहले रेल बजट भी अलग से पेश किया जाता था लेकिन 2017 में उसे आम बजट में ही समाहित कर दिया गया। 1955 तक बजट केवल अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था लेकिन उसके बाद इसे हिन्दी तथा अंग्रेजी दोनों भाषाओं में पेश करना शुरू कर दिया गया। 1950 तक बजट का मुद्रण राष्ट्रपति भवन में होता था किन्तु इसके लीक होने के बाद इसका मुद्रण दिल्ली की मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगा और 1980 से वित्त मंत्रालय के अंदर सरकारी प्रेस में ही इसका मुद्रण होता है। 1947 से लेकर अब तक देश में 73 आम बजट, 14 अंतरिम बजट व 4 विशेष या मिनी बजट पेश किए जा चुके हैं। वैसे भारत में बजट पेश करने का सिलसिला 164 वर्ष पहले 7 अप्रैल 1860 को ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेश किया था। जबकि स्वतंत्र भारत का पहला बजट तत्कालीन वित्तमंत्री आर के षणमुगम चेट्टि ने 26 नवम्बर 1947 को पेश किया था, जिसमें कोई टैक्स नहीं लगाते हुए केवल अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी।
बजट को लेकर दिलचस्प तथ्य यह भी है कि देश के इतिहास में तीन ऐसे अवसर भी आए हैं, जब वित्तमंत्री के बजाय प्रधानमंत्री ने आम बजट पेश किया। सबसे ज्यादा देर तक बजट भाषण देने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट लंबा बजट भाषण दिया था। 1977 में मात्र 800 शब्दों का सबसे छोटा भाषण वित्तमंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने जबकि शब्दों के लिहाज से कुल 18650 शब्दों का सबसे बड़ा बजट भाषण 1991 में मनमोहन सिंह ने दिया था। उसके बाद 2018 में अरुण जेटली ने 18604 शब्दों का बजट भाषण दिया था। बतौर वित्तमंत्री सर्वाधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम है, जिन्होंने 1962-69 के बीच 10 बार बजट पेश किया था। वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने संयुक्त मोर्चा सरकार में 1996 से 1998 तक और फिर यूपीए-1 तथा यूपीए-2 सरकार में कुल 9 बार, वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने इंदिरा सरकार में 1982 से 1984 तक और मनमोहन सिंह सरकार में 2009 से 2012 तक कुल 8 बार बजट पेश किया। यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख तथा यशवंत सिन्हा ने 7-7 बार जबकि मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमाचारी ने 6-6 बार बजट पेश किया। इंदिरा गांधी ने पहली महिला वित्तमंत्री के तौर पर 1970 में बजट पेश किया था।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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