लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने कहा है कि वह लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri) कांड में चार मृत किसानों के मामले (Farmers cases) को लेकर कानूनी रूप से लड़ेगी (Will fight the legal battle) ।
बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने किसानों के मामले को नि:शुल्क लड़ने के लिए वरिष्ठ वकीलों की एक टीम गठित करने की घोषणा की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दोषी भाग न जाएं।
बसपा ने पहले घोषणा की थी कि वह बिकरू की नाबालिग विधवा खुशी दुबे को कानूनी सहायता मुहैया कराएगी, जो पिछले साल जुलाई से बिना किसी आरोप के जेल में बंद है।
बसपा महासचिव और राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को रविवार देर रात लखनऊ में नजरबंद कर दिए जाने के बाद यह फैसला आया है, जिससे उन्हें लखीमपुर खीरी जाने से रोक दिया गया था।
सांसद की नजरबंदी सोमवार रात तक जारी रही। बसपा प्रमुख मायावती ने राज्य सरकार की मनमानी की निंदा की। उन्होंने कहा, “बसपा महासचिव एससी मिश्रा को रविवार को नजरबंद कर दिया गया था ताकि पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडललखीमपुर खीरी न जा सके और समझ सके कि वास्तव में वहां क्या हुआ था। मैं इस कार्रवाई की निंदा करती हूं। चूंकि इस मामले में भाजपा के एक मंत्री शामिल हैं, इसलिए संभव है कि निष्पक्ष जांच न हो। इसलिए, इस घटना में पीड़ितों के लिए निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक जांच जरूरी है, जिसमें नौ लोग मारे गए हैं।”
इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की गई है जिसमें लखीमपुर खीरी हिंसा की सीबीआई जांच या न्यायिक जांच की मांग की गई है, जिसमें रविवार को किसानों सहित कई लोगों की मौत हो गई थी।
प्रयागराज लीगल एड क्लिनिक द्वारा भेजे गए एक पत्र में अनुरोध किया गया है कि सीबीआई जांच के मामले में पूरी जांच की निगरानी उच्च न्यायालय द्वारा की जाए। याचिकाकर्ता ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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