इंदौर। एक तरफ मेट्रो प्रोजेक्ट (metro project) के काम में गति आई है, दूसरी तरफ शहर में दौडऩे वाली सिटी बसों (city buses) को सीएनजी (CNG) और इलेट्रॉनिक बसों में परिवर्तित किया जा रहा है। अभी 19 नए रूटों पर 200 सीएनजी बसें चलाने का निर्णय लिया गया है, वहीं 38 मौजूदा रूटों पर चलने वाली बसों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। आने वाले समय में 600 सीएनजी बसें पीपीपी मॉडल (PPP Model) पर चलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिनमें से 10 बसें कल और इंदौर पहुंच गईं। वहीं एबी रोड स्थित बीआरटीएस कॉरिडोर, जिस पर वातानुकूलित आई-बसें चल रही है, उन्हें भी धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक बसों में शिफ्ट किया जाएगा। यानी कॉरिडोर को प्रदूषणमुक्त करेंगे। 80 इलेक्ट्रिक बसों के टेंडर जारी किए गए हैं।
एआईसीटीएसएल द्वारा शहर में सिटी बसों (City Buses in the City by AICTSL) संचालन सफल रूप से तो किया ही जा रहा है, वहीं इंटरसिटी और इंटरस्टेट वॉल्वो बसें चलाई जा रही हैं। इंदौर-भोपाल (Indore-Bhopal) की बसें तो लोकप्रिय हैं ही, जिनमें बड़ी संख्या में लोग सफर करते हैं, वहीं शहर में कोविड के चलते कई रूटों पर बसों का संचालन बंद किया गया था। अभी सभी रूटों पर बसों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही है। अभी 200 नई सीएनजी बसें 19 रूटों पर चलाई जा रही हैं तो 38 अन्य पुराने रूटों पर भी बसों की संख्या बढ़ाने के साथ सभी बसें सीएनजी और इलेक्ट्रिक रहेंगी, ताकि इन बसों के जरिए होने वाला प्रदूषण खत्म हो सके और एआईसीटीएसएल को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिल सके। एआईसीटीएसएल के सीईओ और निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी के मुताबिक बीआरटीएस कॉरिडोर पर भी अगले कुछ महीनों में सभी बसों को इलेक्ट्रिक बसों में परिवर्तित कर दिया जाएगा। 80 बसों के टेंडर बुलाए गए हैं। अभी कुछ इलेक्ट्रिक बसें चल भी रही हैं, लेकिन आने वाले समय में बीआरटीएस पर दौडऩे वाली सभी बसें इलेक्ट्रिक होंगी। फिलहाल शहर में 40 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन अलग-अलग रूटों पर किया जा रहा है। वहीं बीआरटीएस कॉरिडोर पर 30 बसें इलेक्ट्रिक चलेंगी। अभी जो 80 बसों के टेंडर जारी किए हैं उनमें से 30 बसें कॉरिडोर पर और अन्य 50 बसें दूसरे मार्गों पर चलेंगी। उल्लेखनीय है कि एआईसीटीएसएल पीपीपी मॉडल पर बसों का संचालन कर रहा है, जिसमें ऑपरेटरों को रूटों की जिम्मेदारी दी गई है। फायदे वाले रूटों के साथ कुछ कम फायदे वाले रूटों को भी संलग्न किया गया है, ताकि सभी ऑपरेटरों को एक समान लाभ मिल सके। अभी नगर निगम द्वारा कचरे से गैस बनाने का सबसे बड़ा प्लांट देवगुराडिय़ा में तैयार किया गया है, जो जल्द ही शुरू हो जाएगा। यह इंदौर ही नहीं, बल्कि एशिया का सबसे बड़ा प्लांट है, जिससे निगम को डेढ़ करोड़ रुपए की सालाना आय के साथ-साथ सस्ती सीएनजी भी मिलेगी, जिसका इस्तेमाल शहर में चलने वाली सिटी बसों में तो किया ही जाएगा, वहीं अन्य वाहनों के लिए भी यह सीएनजी उपलब्ध होगी। साढ़े 500 टन गीले कचरे से 18 हजार लीटर बॉयो सीएनजी बनेगी।
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