इंदौर (Indore)। शहर में बना बीआरटीएस वैध है या अवैध और आम लोगों के लिए यह फायदेमंद है अथवा नहीं, इसे लेकर दायर दो जनहित याचिकाओं पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है। ये दोनों जनहित याचिकाएं सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी ने क्रमश: 2013 और 2015 में दायर की हैं। इनमें कहा गया है कि शहर की दो प्रतिशत जनता के लिए सरकार ने 48 प्रतिशत सडक़ पर बीआरटीएस बना रखा है। यह आम आदमी के समानता के अधिकार का हनन है। सडक़ का 37 प्रतिशत बीआरटीएस के लिए, 33 प्रतिशत सामान्य परिवहन के लिए और 30 प्रतिशत अन्य वाहनों के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
इस 37 प्रतिशत सडक़ पर 2.3 प्रतिशत यात्री यात्रा कर रहे हैं, जबकि 33 प्रतिशत सडक़ पर 97.7 प्रतिशत यात्री यात्रा करने को मजबूर हैं। इस तरह 50 हजार यात्रियों की सुविधा के लिए 25 लाख लोगों को परेशानी झेलना पड़ रही है। याचिका में इसकी वैधता पर भी सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि बीआरटीएस प्रोजेक्ट में कई नियमों का उल्लंघन किया गया है। नगर तथा ग्राम निवेश से विधिवत नक्शा भी स्वीकृत नहीं करवाया गया। याचिकाकर्ता के मुताबिक याचिकाओं पर आज अंतिम बहस हो सकती है।
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