आबादी से ज्यादा हो जाएंगे वाहन, इंदौर का मास्टर प्लान बनता तो शानदार है, मगर उस पर अमल में फिसड्डी… विशेषज्ञों ने की आगामी प्लान पर विस्तृत चर्चा
इंदौर। शहर के पर्यावरण, नगर नियोजन और मास्टर प्लान के विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर शासन-प्रशासन को विभिन्न मुद्दों पर सलाह दी जाती रही है। कल भी डेवलपमेंट फाउंडेशन के बैनर तले मास्टर प्लान (Master Plan) पर विस्तृत चर्चा हुई। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवाणी (Kishor Kodwani) का भी कहना रहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में अवरोध आने पर उन्हें अदालतों के दरवाजे खटखटाना पड़ते हैं। मास्टर प्लान में 20 फीसदी तक हरियाली का प्रावधान करने और महू (Mhow) से लेकर देवास ( Dewas) तक बीआरटीएस (BRTS) के विस्तार सहित ओवरब्रिजों (Overbridges) के निर्माण, तालाबों (Ponds) के गहरीकरण और पूर्व के मास्टर प्लानों की सभी सडक़ों के निर्माण के अलावा घने क्षेत्रों में स्थित औद्योगिक इकाइयों की शिफ्टिंग पर भी चर्चा की गई।
इंदौर का मास्टर प्लान-2021 अभी 31 दिसम्बर को ही समाप्त हो गया। हालांकि नए मास्टर प्लान (Master Plan) के अमल में आने तक वर्तमान प्लान ही लागू माना जाएगा। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा 2035 के आगामी मास्टर प्लान को तैयार करने की कवायद भी चल रही है, जिसमें 79 नए गांवों को शामिल किया गया है। पिछले दिनों कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने इन गांवों के लैंड यूज (Land Use) को फ्रीज भी करवा दिया और नए अभिन्यासों पर रोक भी लग गई। दूसरी तरफ इंदौर का मास्टर प्लान (Master Plan) तो हमेशा अच्छा बनता आया, मगर उस पर मैदानी अमल के मामले में फिसड्डी रहे हैं। वर्तमान मास्टर प्लान (Master Plan) में किए गए प्रावधान ही पूरी तरह से लागू नहीं हो सके और झोनल प्लान भी नगर निगम (Municipal Corporation) नहीं बना सका। डेवलपमेंट फाउंडेशन ने इंदौर के मास्टर प्लान (Master Plan) पर परिचर्चा का आयोजन किया, जिसमें नगर निगम के पूर्व सिटी इंजीनियर और प्लानर जगदीश दगांवकर ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि इंदौर के मास्टर प्लान पर मैदानी अमल नहीं हो पाता। सियागंज, हाथीपाला, रानीपुरा सहित अन्य शहर के घने बाजारों, औद्योगिक इकाइकों की शिफ्टिंग भी वर्षों बाद भी नहीं हो पाई। वहीं पश्चिमी रिंग रोड नहीं बना। वहीं एमआर-9, 11 से लेकर एमआर-12 सहित अन्य कई महत्वपूर्ण सडक़ों का निर्माण भी नहीं हो सका। 2035 में आबादी से ज्यादा वाहनों की संख्या हो जाएगी, क्योंकि प्रस्तावित प्लान में 45 लाख की आबादी अनुमानित की गई, जबकि वाहनों की संख्या 60 लाख का आंकड़ा पार कर लेगी। बीआरटीएस कॉरिडोर (BRTS Corridor) भी सिर्फ निरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी प्रतिमा (Rajiv Gandhi Statue) तक ही बन सका। जबकि 52 किलोमीटर में बीआरटीएस आना था। लिहाजा अब जरूरी है कि महू से देवास तक इसका विस्तार किया जाए। सभी प्रमुख सडक़ों पर फुटपाथ, पार्किंग के अलावा व्यस्ततम् चौराहों पर ओवरब्रिजों का निर्माण भी हो। यशवंत सागर, बिलावली, लिम्बोदी सहित प्रमुख तालाबों का गहरीकरण किया जाए और मास्टर प्लान में 9 फीसदी की बजाय 20 फीसदी तक ग्रीन बेल्ट यानी हरियाली का प्रावधान हो। सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद कुलकर्णी, प्रो. टीके चांदे, डॉ. ओपी जोशी, आलोक खरे, जयंत होल्कर सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे। वहीं आभार रामेश्वर गुप्ता ने माना।
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