नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए यह साल ना केवल चुनावी नतीजों (Electoral results) के लिहाज से सुखद रहा बल्कि पार्टी के बैंक खाते में भी जमकर चंदा (donations) बरसा. भाजपा को 2023-24 में लोगों, ट्रस्टों और कॉरपोरेट घरानों से 2,244 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले जो 2022-23 में मिले चंदे से तीन गुना अधिक हैं.
दूसरी ओर, कांग्रेस (Congress) को 2023-24 में करीब 289 करोड़ रुपये मिले, जबकि पिछले वर्ष उसे 79.9 करोड़ रुपये मिले थे. भाजपा और कांग्रेस दोनों को सबसे ज्यादा चंदा प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिला जिसने भाजपा को 723 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 156 करोड़ रुपए दिए. सीधे शब्दों में कहें तो, 2023-24 में भाजपा का लगभग एक तिहाई और कांग्रेस का आधे से अधिक दान प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से आया.
बीजेपी को कांग्रेस से 776.82% अधिक चंदा
इस साल भाजपा को कांग्रेस से 776.82% ज़्यादा चंदा मिला. भाजपा को 2023-24 में सबसे ज़्यादा 2,244 करोड़ रुपये का चंदा मिला तो वहीं दूसरे नंबर पर तेलंगाना के पूर्व सीएम चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस रही जिसे 580 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही जिसे 289 करोड़ रुपये का चंदा मिला.
2022-23 में प्रूडेंट को सबसे अधिक दान देने वाले संस्थाओं में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रा लिमिटेड, सीरम इंस्टीट्यूट, आर्सेलर मित्तल ग्रुप और भारती एयरटेल शामिल हैं. भाजपा और कांग्रेस ने अपने चंदे का जो हिसाब-किताब बताया है उसमें इलेक्टोरल बॉन्ड शामिल नहीं हैं. नियमों के अनुसार राजनीतिक दलों को यह विवरण केवल अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में घोषित करना होता है, योगदान रिपोर्ट में नहीं.
फरवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. इसके बाद से राजनीतिक दलों के लिए फंड का सबसे बड़ा जरिया डायरेक्ट पैसा या इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए मिला पैसा ही चंदे का जरिया है.
क्षेत्रीय दलों को मिला इतना चंदा
हालांकि, कुछ क्षेत्रीय दलों ने 2023-24 की अपनी योगदान रिपोर्ट में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अपनी प्राप्तियों की स्वेच्छा से घोषणा की है. इनमें बीआरएस शामिल है, जिसे बॉन्ड में 495.5 करोड़ रुपये मिले; डीएमके को 60 करोड़ रुपये मिले और वाईएसआर कांग्रेस को अब बंद हो चुके इस साधन के माध्यम से 121.5 करोड़ रुपये मिले. जेएमएम को बॉन्ड के माध्यम से 11.5 करोड़ रुपये की मिले.
भाजपा ने 2023-24 में पिछले वर्ष की तुलना में अपने योगदान में 212% की वृद्धि दर्ज की, हालांकि यह असामान्य नहीं है क्योंकि यह आम चुनावों से पहले का साल था. 2019 के आम चुनाव से एक साल पहले 2018-19 में, भाजपा ने 742 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 146.8 करोड़ रुपये मिले थे. भाजपा को चुनावी ट्रस्ट के माध्यम से 850 करोड़ रुपये मिले, जिनमें से 723 करोड़ रुपये प्रूडेंट से, 127 करोड़ रुपये ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट से और 17.2 लाख रुपये आइन्जीगार्टिंग इलेक्टोरल ट्रस्ट से मिले.
बीजेपी को फ्यूचर गेमिंग से भी मिला पैसा
कांग्रेस को ट्रस्ट के माध्यम से 156 करोड़ रुपये से अधिक मिले, हालांकि प्रूडेंट यहां एकमात्र दाता था. प्रूडेंट ने 2023-24 में बीआरएस और वाईएसआर कांग्रेस को क्रमशः 85 करोड़ रुपये और 62.5 करोड़ रुपये का योगदान दिया जिन्हें इस साल अपनी सत्ता गंवानी पड़ी. आंध्र प्रदेश की मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी टीडीपी को प्रूडेंट से 33 करोड़ रुपये मिले. दिलचस्प बात यह है कि भाजपा को 2023-24 में फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज से 3 करोड़ रुपये चंदा मिला जो सैंटियागो मार्टिन की कंपनी है, जिसे भारत का ‘लॉटरी किंग’ भी कहा जाता है.
फ्यूचर गेमिंग इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे बड़ा दानदाता था जिसमें तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा हुआ. मार्टिन कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की निगरानी में हैं.
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