नई दिल्ली । भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) विभाजन की कई दुख भरी यादें हमारे ज़ेहन को आज भी झकझोर देती है. ऐसी ही एक कहानी है कुलसुम (Kulsum) और उनके भाई अमरजीत सिंह (Amarjeet Singh) की, जो 1947 के विभाजन (Partition) में एक-दूसरे से बिछड़ गए थे. कुलसुम का परिवार पाकिस्तान चला गया था और अमरजीत पंजाब में ही रह गए थे. अब 75 साल बाद, जब दोनों भाई-बहन गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में मिले तो दोनों की आंखों से आंसू छलक पड़े.
कुलसुम अख़्तर बताती हैं कि उनका परिवार 1947 में पंजाब के जालंधर से पाकिस्तान आया था, लेकिन उनके एक भाई और एक बहन पंजाब में रह गए थे. कुलसुम के मुताबिक़ उनका जन्म पाकिस्तान में ही हुआ लेकिन उनकी मां अकसर, भारत में रह रहे उनके भाई और बहन का ज़िक्र किया करती थीं. वो बताती हैं कि उन्हें याद कर उनकी मां हमेशा रो दिया करती थी. वो बताती हैं कि उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि वो अपने भाई-बहन से कभी मिल भी पाएंगी. कुलसुम के मुताबिक कुछ साल पहले उनके पिता के एक दोस्त सरदार दारा सिंह उनके घर आए तो उनकी मां ने पंजाब में रह रहे अपने दोनों बच्चों का ज़िक्र किया और उनका पता बताया.
In a moving reunion, Tears of joy rolled down his wizened cheeks when Amarjit Singh from #India’s #Punjab met his sister kulsoom from #Pakistan at the historic Gurdwara #Kartarpur Sahib, 75 years after they were separated at the time of partition #CorridorOfPeace pic.twitter.com/mH5kfKgzHE
— Ghulam Abbas Shah (@ghulamabbasshah) September 7, 2022
करतारपुर कॉरिडोर की वजह से मिलन संभव हुआ
सरदार दारा सिंह उनके घर जालंधर गए और बाद में कुलसुम के परिवार को बताया कि उनकी बेटी का निधन हो गया लेकिन उनका बेटा अभी भी ज़िंदा है. जब कुलसुम को इस बात की ख़बर मिली कि पंजाब में उनका भाई अभी भी ज़िंदा है, जो बचपन में एक सिख परिवार द्वारा अडॉप्ट कर लिया गया था- तो उन्होंने मिलने की इच्छा जताई और व्हॉट्सएप पर संपर्क किया. ख़ास बात यह है कि करतारपुर साहिब कॉरिडोर की वजह से ही उनका मिलना संभव हो सका.
…जब चौंक गए अमरजीत
बाद में अमरजीत सिंह व्हील चेयर पर गुरुद्वारा साहिब पहुंचे और उनकी बहन कुलसुम भी बैक पेन की वजह से चल नहीं सकती थीं लेकिन वो अपने भाई से मिलने के लिए फैसलाबाद से करतारपुर पहुंचीं. दोनों भाई-बहन मिलते ही रोने लगे और अपने परिवार को याद करने लगे. अमरजीत सिंह बताते हैं कि, जब उनको पता चला कि, उनका मूल परिवार पाकिस्तान में है और मुस्लिम हैं, तो वो चौंक गए, लेकिन खुद को यह समझाकर संभाला कि तब कई परिवार एक दूसरे से बिछड़ गया था.
विभाजन का दौर ऐसा था कि, कई सिख समुदाय के लोग मुसलमान हो गए और कई मुसलमान सिख हो गए थे. कुलसुम बताती हैं कि उनका भाई सिख है क्योंकि वो एक सिख परिवार द्वारा अडॉप्ट कर लिया गया था लेकिन उन्हें धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.
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