नई दिल्ली (New Delhi)। विभाजन (Reunion) के दौरान 76 साल पहले अलग हुए भाई-बहन (Brother and sister separated 76 years ago) ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर (historic Kartarpur Corridor) में फिर से मिले। मोहम्मद इस्माइल (Mohammad Ismail) और उनकी चचेरी बहन सुरिंदर कौर (दोनों 80 वर्ष से अधिक के हैं) पाकिस्तान और भारत के अपने-अपने शहरों से करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पहुंचे और रविवार को उनका भावनात्मक पुनर्मिलन हुआ।
इवैक्यूट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के एक अधिकारी ने बताया कि करतारपुर साहिब के प्रशासन ने दोनों भाई-बहन को पुनर्मिलन की सुविधा प्रदान की और उन्हें मिठाई और लंगर खिलाया। इस्माइल लाहौर से करीब 200 किलोमीटर दूर पंजाब के साहीवाल जिले के रहने वाले हैं और कौर जालंधर की रहने वाली हैं।
इस्माइल और कौर के परिवार विभाजन से पहले जालंधर जिले के शाहकोट शहर में रह रहे थे, दंगों ने उन्हें अलग कर दिया था। एक पाकिस्तानी पंजाबी यूट्यूब चैनल ने इस्माइल की कहानी पोस्ट की, जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के एक सरदार मिशन सिंह ने उससे संपर्क किया और उसे भारत में अपने लापता परिवार के सदस्यों के बारे में सूचित किया।
सिंह ने इस्माइल को कौर का टेलीफोन नंबर दिया जिसके बाद दोनों चचेरे भाइयों ने बात की और करतारपुर गलियारे के माध्यम से गुरुद्वारा दरबार साहिब में मिलने का फैसला किया। उनके पुनर्मिलन के दौरान भावनात्मक दृश्य देखे गए।
कौर और भारत से आए उनके परिवार के सदस्यों ने भी धार्मिक अनुष्ठान किए। करतारपुर गलियारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के पंजाब राज्य के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है। भारतीय सिख तीर्थयात्री चार किमी लंबे गलियारे तक पहुंच सकते हैं और बिना वीजा के दरबार साहिब की यात्रा कर सकते हैं।
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