इंदौर। डायरी (Diary) पर कारोबार (Business) करवाने वाले 9 चुनिंदा दलालों को जिला प्रशासन (District Administration) ने नोटिस जारी किए हैं। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) के निर्देश पर शुरू हुई इस कार्रवाई के चलते कालोनाइजरों (Colonizers) और दलालों (Brokers) में हडक़म्प मच गया है। 22 अक्टूबर को इन दलालों तलब किया गया है। उसके पहले ही मोबाइल बंद कर ये सभी दलाल अंडरग्राउंड हो गए और अब अभिभाषकों की शरण में भी हैं। गिरफ्तारी वारंट (Arrest Warrent) जारी करने के बाद अगर जवाब से प्रशासन (Administration) संतुष्ट नहीं हुआ तो जेल भेजने की कार्रवाई भी की जा सकेगी। 1 लाख रुपए या इतनी ही राशि के बॉण्डओवर (Bondover) के साथ लिखित में शपथ-पत्र भी देना पड़ेगा कि भविष्य में इस तरह की अवैध गतिविधि में लिप्त नहीं रहेंगे। कलेक्टर के मुताबिक सभी दलालों का रेरा पंजीयन भी अनिवार्य है और जिन दलालों को नोटिस दिए गए हैं अगर उनका रेरा पंजीयन नहीं पाया जाता है तो इस मामले में भी अलग से रेरा एक्ट के मुताबिक वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। विस्तृत राजस्व जांच के आधार पर प्रतिवेदन तैयार किया जाएगा, जो संबंधित अपर कलेक्टर से अनुमोदन के पश्चात संबंधित थाने में आईपीसी की धाराओं के तहत आपराधिक प्रकरण भी दर्ज होंगे।
जमीनी कारोबार में आई (Income) एकाएक तेजी के चलते गड़बड़ी भी शुरू हो गई। हालांकि पूर्व में भी डायरियों (Diary) पर माल बेचा जाता रहा। मगर अभी 6 महीने के भीतर इस गोरखधंधे में इतनी तेजी आई कि चारों दिशाओं में हजारों भूखंड बिना वैध अनुमति के रंग-बिरंगे नक्शों के आधार पर बेच दिए गए। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने 9 दलालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करवाई। इसके साथ ही सभी अपने मोबाइल बंद कर अंडरग्राउंड (Underground) हो गए। एक दलाल नीलेश पोरवाल के घर पुलिस पहुंची तो वह गायब मिला। संजय मलानी, उमेश डेम्बला, सुनील मनोहरलाल जैन, प्रशांत उर्फ बबल पिता दिनेश खंडेलवाल, गौतम पन्नालाल जैन, गणेश खंडेलवाल, कमल पिता त्रिलोकचंद्र गोयल और हर्ष चुघ के खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं, जिनसे पूछताछ के बाद बॉण्डओवर की कार्रवाई भी होगी। अपर कलेक्टर राजेश राठौर (Rajesh Rathore) को इसकी जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। राठौर के मुताबिक सभी 9 दलालों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (Arrest Warrent) जारी किए जा चुके हैं और 22 अक्टूबर को उन्हें पेश होना है। सादी डायरी पर अप्राधिकृत तरीकों से निजी कालोनियों में भूखंडों का विक्रय किया जा रहा है, जिसके चलते दंड प्रक्रिया की धारा 107, 116 (3) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। बिना किसी सक्षम अनुमति, अपेक्षित लाइसेंस, पंजीयन, विधिक एग्रीमेंट या लिखा-पढ़ी तथा बिना नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर करवाए नक्शे के विपरित कालोनाइजरों ने खुद ही रंग-बिरंगे नक्शे बनवा लिए, जिसके आधार पर क्रेताओं से भारी मात्रा में एडवांस राशि लेकर विभिन्न क्षेत्रों में विकसित होने वाली कालोनियों में निराधार और भ्रमपूर्ण आश्वासनों के जरिए भूखंडों की बिक्री कर दी गई, जिसके चलते निवेशकों से लेकर आम जनता ने जो एडवांस राशि बिना किसी विधिक एग्रीमेंट या पावती के दी है वह कभी भी डूब सकती है, जिसके चलते लोक परिशांति भंग होने की भी संभावना है। इधर कलेक्टर की इस मुहिम के चलते कालोनाइजरों और उनसे जुड़े दलालों में हडक़म्प मच गया। हालांकि कई बड़े दलाल फिलहाल चपेट में आने से बच भी गए, जिनमें संजय पिपलिया, पीकेंश जैन, विनय श्रीमाल, राजू खंडेलवाल, आनंद, राजा मनवानी सहित कई अन्य दलाल भी इस गोरखधंधे में लगातार सक्रिय रहे हैं।
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