– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
समाज कल्याण के व्यापक आयाम होते हैँ। लोक कल्याणकारी सरकार से इन सभी पर एक साथ प्रयास करने की अपेक्षा रहती है। इस आधार पर सरकार के कार्यों का आकलन किया जाता है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस दायित्व का बखूबी निर्वाह किया। यही कारण है कि ईज ऑफ लिविंग में उत्तर प्रदेश का ग्राफ बहुत ऊपर हुआ है। विगत पांच वर्षों के दौरान समाज कल्याण के सभी मोर्चों पर एक साथ प्रभावी कार्य किया गया। इस दौरान दो वर्ष तक कोरोना महामारी का प्रकोप रहा। आपदा की इस अवधि में समाज कल्याण के कार्यों की सर्वाधिक आवश्यकता थी। केंद्र व प्रदेश की सरकारों ने गरीबों के भरण-पोषण हेतु विश्व की सबसे बड़ी निःशुल्क राशन योजना लागू की। योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी पारी इस योजना की समय सीमा बढ़ाने के साथ की।
उत्तर प्रदेश में विगत पांच वर्षों के दौरान व्यवस्था बदलाव के प्रभावी प्रयास किये गए। इसके चलते ईज ऑफ डूइंग बिजनेस से लेकर ईज ऑफ लिविंग की रैंकिंग में अभूतपूर्व मुकाम हासिल हुआ है। इसके पहले उत्तर प्रदेश का इस क्षेत्र में पिछड़ा माना जाता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सर्वप्रथम प्रदेश की व्यवस्था को बदलने का कार्य किया। इसका सकारात्मक प्रभाव अनेक क्षेत्रों में दिखाई दे रहा है। ईज ऑफ लिविंग अभियान के अंतर्गत योगी आदित्यनाथ ने लोक भवन सभागार में ई पेंशन पोर्टल का शुभारंभ किया। पेंशनधारकों को यह सुविधा उपलब्ध कराने वाला यूपी देश का पहला राज्य है।
सात वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया था। इसके अंतर्गत देश में चालीस करोड़ जन-धन खाते खोले गए। व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के तकनीकी प्रयास किये गए। इससे जरूरतमंदों को सीधा व शत-प्रतिशत लाभ मिलना सुनिश्चित हुआ। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने भी व्यापक सुधार किए। इसके अनुरूप प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने ई-पेंशन पोर्टल का विकास किया। इससे पेंशन व्यवस्था को सुगम व पारदर्शी बनाया गया है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत पेंशनर को सेवानिवृत्त होने के छह माह पहले ही पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन और आवेदन करना है। रजिस्ट्रेशन करने के बाद आहरण एवं वितरण अधिकारी द्वारा पेंशनर के आवेदन की जांच कर 30 दिनों के अन्दर पेंशन पेमेण्ट ऑर्डर जारी करने वाले अधिकारी को अग्रसारित कर दिया जाएगा। पीपीओ जारी करने वाले अधिकारी द्वारा 30 दिनों के अन्दर पीपीओ जारी कर दिया जाएगा। पूरी प्रक्रिया सेवानिवृत्ति से तीन महीने पहले पूर्ण कर ली जाएगी। यहां से पेंशन के कागजात पूर्ण होने का संदेश आवेदनकर्ता के पास आ जाएगा। नियत तिथि को कोषागार द्वारा पेंशनर के खाते में पेंशन का ऑनलाइन भुगतान हो जाएगा। यह पोर्टल कॉन्टैक्टलेस है। कहीं जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना है। शेष प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। यह पेपरलेस तथा कैशलेस है। पूरी प्रक्रिया सेवानिवृत्ति के छह माह पूर्व से शुरु होकर अपने आप पूरी हो जाएगी।
यह सुविधा अनेक उपलब्धियों से भरी है। पेंशन के लिए किसी को भटकना नहीं पड़ेगा। इसी प्रकार दिव्यांग कल्याण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किये गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकलांग की जगह दिव्यांग संबोधन का प्रयोग किया था। उनका कहना था कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों में कोई न कोई दिव्य प्रतिभा अवश्य होती है। अवसर मिलने से उनकी प्रतिभा में निखार आता है। जिससे वह समाज व के सामने अपनी क्षमता को प्रमाणित भी करते है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस विचार को आगे बढाते रहे हैं। इन प्रयासों से विकलांगों के प्रति समाज की धारणा बदल रही है। दिव्यांग शब्द में एक सम्मान का भाव है। अब यह शब्द प्रचलन में आ गया है। योगी आदित्यनाथ ने भारत की ऋषि परम्परा में ऋषि अष्टावक्र व महाकवि सूरदास का उल्लेख किया। कहा कि इन्होंने अपनी विलक्षण प्रतिभा से समाज को नई दिशा प्रदान की। उनकी भक्ति, विचार व साहित्य शाश्वत रूप में प्रासंगिक रहेंगे। भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिंस ने भी दिव्यांग शब्द को चरितार्थ किया है। उनकी दिव्य प्रतिभा को भी लोगों ने देखा व स्वीकार किया है। उन्होंने ब्रह्माण्ड के रहस्य पर महत्वपूर्ण शोध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के पास कुछ न कुछ क्षमता अवश्य है। ‘अयोग्यः पुरुषो नास्तिः।’ कुछ भी अयोग्य नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर कुछ न कुछ गुण अवश्य होता है। इसके लिये उनको अवसर उपलब्ध कराना आवश्यक है। सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है।
योगी आदित्यनाथ डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के अटल प्रेक्षागृह में आयोजित विभिन्न कार्याें के शिलान्यास एवं टैबलेट वितरण कार्यक्रम में सहभागी हुए। उन्होंने कहा है कि व्यक्ति के विवेक,साहस,विचार और बुद्धिमत्ता से उसकी पहचान बनती है। इनका स्थूल रूप में मूल्यांकन नहीं हो सकता। शारीरिक रूप में कठिनाई का सामना करते हुए भी लोग जीवन में सफल हो सकते है। यह विश्वविद्यालय दिव्यांगजनों के पुनर्वास में योगदान कर रहा है। यहां के आधे विद्यार्थी दिव्यांग व आधे सामान्य हैं। इनका परस्पर समन्वय, संवाद व सहयोग सार्थक हो रहा है। यहां अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय स्थापित होने जा रहा है।
डिजिटल इंडिया अभियान को मजबूत बनाने के लिए शासन ने प्रदेश के एक करोड़ बच्चों को टैबलेट एवं स्मार्टफोन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इसमें हर प्रकार के पाठ्यक्रम टैग होंगे। इसका विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिलेगा। प्रदेश सरकार द्वारा आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स तथा औद्योगिक विकास विभाग के समन्वय से नए नए प्रोग्राम के साथ इन बच्चों को जोड़ने का कार्य किया जाएगा। इससे ऑनलाइन एजुकेशन के साथ-साथ इन विद्यार्थियों को किसी परीक्षा की ऑनलाइन तैयारी के लिए भी सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।
वर्तमान सरकार ने दिव्यांगों की सुविधा हेतु अभूतपूर्व कार्य किये हैं। दिव्यांगजन पेंशन राशि तीन सौ रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर एक हजार रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के वार्षिक बजट को लगभग दोगुना किया गया। इसी प्रकार पेंशन प्राप्त करने वालों की संख्या व उपकरण हेतु दी जाने वाली धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। दिव्यांगजनों को परिवहन निगम की बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा भी दी गयी है। दिव्यांगजनों के प्रोत्साहन के लिए राज्यस्तरीय पुरस्कार की श्रेणी में चार गुना वृद्धि की गई। तीस उप श्रेणी बनाई गई। पुरस्कार राशि पांच गुना वृद्धि की गई है।
राज्य सरकार ने श्रमिकों के कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम संचालित किये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक निवासी व प्रवासी श्रमिक को दो लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा कोरोना काल के दौरान उपलब्ध करायी है। प्रदेश सरकार प्रत्येक श्रमिक को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने की कार्यवाही कर रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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