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    British PM ने की भारत की तारीफ, बोले- सही समय पर सही देश को मिली G-20 अध्यक्षता

  • September 07, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक (British Prime Minister Rishi Sunak) ने बुधवार को कहा कि भारत (India) जी-20 की अध्यक्षता (Presidency of the G-20) के लिए सही समय पर सही देश है। उन्होंने इसका कारण बताते हुए भारत की विविधता और इसकी असाधारण सफलताओं को इसका श्रेय दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि पिछले वर्ष जब भारत को इसकी अध्यक्षता मिली, उस समय दुनिया असंख्य चुनौतियों का सामना कर रही थी।

    यहां 9-10 सितंबर को होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन (G20 summit) से कुछ दिन पहले विशेष साक्षात्कार में ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री सुनक ने कहा कि ब्रिटेन और भारत के बीच संबंध दोनों देशों के भविष्य को परिभाषित करेंगे। इससे कहीं अधिक यह वर्तमान को परिभाषित कर रहा है। साक्षात्कार के संपादित अंश।


    आप जी-20 की भारत की अध्यक्षता को कैसे देखते हैं?
    भारत ने जी-20 की अध्यक्षता ऐसे समय में संभाली है जब दुनिया यूक्रेन युद्ध के परिणामों समेत कई चुनौतियों का सामना कर रही है। हमने पिछले 12 महीने में मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता में तेजी से बढ़ोतरी देखी है। हम जलवायु परिवर्तन से निपटने जैसे मुद्दों का भी सामना कर रहे हैं। अपने कद, विविधता और अपनी असाधारण सफलता के कारण भारत जी-20 की अध्यक्षता के लिए ‘सही समय पर सही देश’ है। मैं पिछले एक साल में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करता हूं और भारत को इस तरह का वैश्विक नेतृत्व करते देखना सुखद है।

    यूक्रेन युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर शुरू हुई उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में भारत से वर्तमान और भविष्य के सहयोग की समग्र दिशा को आप कैसे देखते हैं?

    आज जो संबंध हैं उससे भी कहीं ज्यादा यह संबंध दोनों देशों के भविष्य को परिभाषित करेंगे। हमने इस रोडमैप के तहत पहले ही बहुत कुछ हासिल कर लिया है, जिसमें उच्च शिक्षा योग्यता की पारस्परिक मान्यता, युवा पेशेवरों के लिए नए वीजा मार्ग और टेस्को, डेलिवरू तथा रेवोलट जैसी ब्रिटिश कंपनियों सहित अरबों नए निवेश सौदे शामिल हैं। हमारा व्यापार संबंध पहले से ही सालाना 3.5 लाख करोड़ रुपये का है। मैं चाहता हूं कि यह संख्या और अधिक हो।

     

    ब्रिटेन का ‘सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति की एकीकृत समीक्षा’ में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की ओर झुकाव था। क्या दोनों पक्ष रणनीतिक संबंधों की गति बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं?

    वर्ष 2021 में प्रकाशित ब्रिटेन की विदेश नीति रणनीति ने ब्रिटेन और दुनिया के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया। यह कुछ ऐसा है जिसकी हमने इस साल पुष्टि की है जब हमने नीति का एक ताजा संस्करण प्रकाशित किया। हिंद-प्रशांत के लिए हमारी प्रतिबद्धता कहीं नहीं जा रही है, ठीक वैसे ही जैसे यह क्षेत्र कहीं नहीं जा रहा है। मैं निश्चित तौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साथ मिलकर और अधिक काम करने की संभावना देखता हूं।

    ब्रिटेन में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की गतिविधियों, खासतौर पर मार्च में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमले को आप कैसे देखते हैं?

    ब्रिटेन में किसी तरह का उग्रवाद स्वीकार्य नहीं है। हम खालिस्तान समर्थक उग्रवाद के खतरे से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और ब्रिटेन की पुलिस हिंसक गतिविधियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।

    जब आप प्रधानमंत्री बने तो भारत में खुशियों की लहर थी। आप अपनी भारतीय जड़ों को किस प्रकार देखते हैं?

    भारत से जुड़ी मेरी जड़ों और भारत से मेरे संबंधों को लेकर मुझे अत्यंत गर्व है। जैसा कि आप जानते हैं, मेरी पत्नी भारतीय हैं और एक गौरवान्वित हिंदू होने का अर्थ है कि भारत और भारत के लोगों से मेरा हमेशा जुड़ाव रहेगा। प्रधानमंत्री पद पर मेरी नियुक्ति को लेकर भारतीय लोगों की प्रतिक्रिया जबरदस्त और दिल को छू लेने वाली थी।

    आपके सास-ससुर भारत में प्रौद्योगिकी जगत के सबसे नामचीन चेहरों में शामिल हैं। जब आप उनके साथ बैठते हैं तो क्या भारतीय राजनीति, प्रौद्योगिकी की बात करते हैं?

    राजनीति को परिवार से अलग रखना बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन निश्चित रूप से मेरी पत्नी और दो बेटियां मूल्यों के मामले में मेरा बहुत मार्गदर्शन करती हैं, जैसा कि मेरे माता-पिता और सास-ससुर करते हैं।

    क्या आप इस वर्ष तक महत्वाकांक्षी भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर आशान्वित हैं?

    एक आधुनिक, दूरदर्शी मुक्त व्यापार समझौता, हमें 2030 तक ब्रिटेन-भारत व्यापार को दोगुना करने की हमारी साझा महत्वाकांक्षा के मार्ग पर मजबूती से खड़ा कर सकता है। वार्ता का 12वां दौर पिछले महीने हुआ था और यह अब तक का सबसे कठिन दौर था-जिसमें वस्तुओं, सेवाओं और निवेश सहित जटिल, संवेदनशील तथा व्यावसायिक रूप से सार्थक मुद्दे शामिल रहे।

    अभी भी कुछ रास्ता तय करना बाकी है, लेकिन मुझे विश्वास है कि हम एक ऐसे समझौते पर सहमत होने में सक्षम होंगे जो ब्रिटेन और भारत दोनों के लिए काम करेगा।

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