लंदन। ब्रिटेन की स्पेस कमांड जल्द ही RAF टाइफून फाइटर जेट्स को धरती ही नहीं, स्पेस तक भेज सकती है। इसका मकसद होगा दुश्मन के सैटलाइट्स को ध्वस्त करना। जानकारों का कहना है कि युद्ध की स्थिति में चीन और रुस की सैन्य और संचार सैटलाइट्स के देश के सुरक्षातंत्र के लिए चुनौती बनने की आशंका। इसके लिए यह मिशन तैयार किया जा रहा है जो अपने टॉप के पायलट्स को ट्रेनिंग देगा। इसके लिए पहले सिम्यूलेशन प्रैक्टिस कराई जाएगी और उसमें पारंगत होने के बाद फ्लाइंग ट्रेनिंग एक्सरसाइज कराई जाएगी।
60 हजार की ऊंचाई से वार
ट्रेनिंग फ्लाइट एक्सरसाइज बिना मिसाइल के होगी। इसमें पहले 40 हजार फीट की उड़ान भरनी होगी और फिर सीधे 20 हजार फीट तक वर्टिकली जाना होगा। हमले की स्थिति में उन्हें दुश्मन की सैटलाइट को निशाना बनाना होगा और 60 हजार फीट की ऊंचाई से ऐंटी सैटलाइट छोड़कर लौटना होगा। रूस और चीन ने पहले ही सतह, हवा और समुद्र आधारिक ASAT मिसाइल विकसित कर रखी हैं जो GPS और टेलिकॉम सैटलाइट को उड़ा सकती हैं।
संकट पर हो गंभीरता
दो हफ्ते पहले ही टाइफून पायलट एयर कॉमडोर पॉल गॉडफ्री को यूके स्पेस कमांड के पहले हेड के तौर पर नियुक्त किया गया था। एयर चीफ मार्शल सर माइक विगस्टन ने चेताया है कि अभी स्पेस के बारे में मिलिट्री क्षेत्र की तरह चर्चा करना विवादास्पद हो सकता है लेकिन अगर ब्रिटेन की सेना अपनी सैटलाइट्स के सामने खड़े संकट को गंभीरता से नहीं लेती है, तो यह बड़ी लापरवाही होगी। ब्रिटेन ने अभी ASAT मिसाइलें नहीं बनाई हैं।
चीन-रूस के खिलाफ अमेरिका करेगा मदद?
वहीं, अमेरिका के पास यह टेक्नॉलजी 1980 से है जब एक पुरानी मौसम सैटलाइट को फाइटर जेट से गिरा दिया गया था। ब्रिटेन के RAF टाइफून जेट्स के नीचे अमेरिका की SM-3 ऐंटी सैटलाइट मिसाइल लगाई जा सकती है लेकिन इससे उसके वजन पर असर पड़ सकता है। रूस ने जमीन से लॉन्च होने वाली डायरेक्ट एसेंट ऐंटी सैटलाइट मिसाइल और स्पेस आधारित सिस्टम भी विकसित कर लिया है जो दूसरी सैटलाइट से फायर किया गया था। अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि चीन के पास सतह पर आधारित मिसाइलें हैं जो धरती की निचली कक्षा में घूम रही सैटलाइट्स को निशाना बना सकती है।
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