लंदन। जर्मनी(Germany) को पछाड़ते हुए चीन(China) ब्रिटेन (Britain) का सबसे बड़ा व्यापार सहभागी(Business partner) बन गया है। ऐसा पहली बार हुआ है। जानकारों के मुताबिक यह ब्रेग्जिट(Brexit) के कारण यूरोपियन यूनियन European Union (EU) से व्यापार के कमजोर पड़े रिश्ते का नतीजा है। इसके अलावा कोरोना महामारी(Corona Pandemic) से निपटने के लिए ब्रिटेन(Britain) ने बड़े पैमाने पर चीन(China) से फेस मास्क में इस्तेमाल होने वाला कपड़ा और पीपीई किट मंगवाए। उसका भी असर पड़ा है।
अगर 2018 से तुलना करें, तो 2012 की पहली तिमाही में चीन(China) से ब्रिटेन(Britain) में हुए आयात में 66 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। ब्रिटेन के राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक इस दौरान जर्मनी से आयात में एक चौथाई गिरावट आई। जहां 2021 की पहली तिमाही में चीन से 16.9 अरब पाउंड का आयात किया, वहीं जर्मनी से हुआ आयात सिर्फ 12.5 अरब पाउंड का रह गया।
ब्रिटेन में पहले सबसे ज्यादा आयात जर्मनी से होता था। 1997 से ये सिलसिला लगातार चल रहा था। इसके बीच अपवाद सिर्फ 2000-01 में छह महीनों की एक अवधि थी, जिस दौरान ब्रिटेन ने सबसे ज्यादा आयात अमेरिका से किया था। हाल में ब्रेग्जिट को लेकर बढ़ी अनिश्चितता के साथ जर्मनी से आयात में 2019 से गिरावट आने लगी। कोविड-19 महामारी के दौर में गिरावट की रफ्तार तेज हो गई। इसका एक कारण यह भी था कि महामारी के दौरान जहां जर्मनी की अर्थव्यवस्था लॉकडाउन से प्रभावित रही, वहीं चीन ने महामारी को जल्द संभाल लिया। ताजा जारी आंकड़ों से यह भी जाहिर हुआ है कि पूरे यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के कारोबार में भारी गिरावट आई है। इसमें 2021 की पहली तिमाही में उसके पहले वाली तिमाही की तुलना में लगभग एक चौथाई की कमी आई। ईयू से कुल व्यापार, जिसमें आयात और निर्यात दोनों के आंकड़े शामिल हैं- 23.1 फीसदी कम रहा। जबकि इसी दौरान ईयू के बाहर के देशों से ब्रिटेन के व्यापार में महज 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई। इसलिए जानकारों का कहना है कि ईयू के साथ घटा व्यापार सिर्फ महामारी और लॉकडाउन के कारण नहीं है। बल्कि यह साफ तौर पर ब्रेग्जिट के बाद बने हालात का नतीजा है। हाल में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की जारी रिपोर्ट के मुताबिक ब्रेग्जिट के साथ ही ब्रिटिश बंदरगाहों पर आवागमन में बाधा पड़ने लगी। नए नियमों को लेकर जारी अस्पष्टता के कारण वहां से निर्यात और आयात दोनों घटा। पहले जर्मनी, फ्रांस और नीदरलैंड्स ब्रिटेन के मुख्य व्यापार भागीदार थे। उन सबके साथ आयात और निर्यात घटा है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि ईयू के साथ व्यापार में आई बाधा ब्रेग्जिट के बाद की शुरुआती दिक्कतों के कारण है। उन्होंने कहा है कि समय गुजरने के साथ दोनों पक्ष नए नियमों के आदती हो जाएंगे। उसके बाद हालत सुधर जाएगी। लेकिन व्यापारियों ने कहा है कि ब्रेग्जिट के बाद ईयू से व्यापार करने की जो लागत बढ़ी है, वह स्थायी है। इसका ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक असर देखने को मिलेगा। ईयू समर्थक गुट बेस्ट फॉर ब्रिटेन के प्रमुख नाओमी स्मिथ ने लंदन के अखबार द गार्जियन से कहा कि ब्रेग्जिट के कारण ब्रिटिश के व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्हें ऊंची लागत का सामना करना पड़ रहा है।