कजान । ब्रिक्स सम्मेलन(BRICS Summit) में इस बार चार नए सदस्य मिस्र, इथोपिया, ईरान और यूएई भी शिरकत(Iran and UAE also participated) करेंगे। इनकी मौजूदगी से संगठन (Organization by presence)के भीतर भारत की स्थिति मजबूत (India’s position is strong)होगी। नए सदस्यों को प्रवेश दिलाने में भारत की अहम भूमिका रही है। भारत सभी वैश्विक मंचों में लगातार ग्लोबल साउथ की आवाज को मजबूत कर रहा है।
भारत के लिए यह शिखर वार्ता इसलिए भी महत्वपूर्ण साबित होने जा रही है, क्योंकि चीन के साथ साढ़े चार साल से जारी टकराव का भी हल निकलता दिख रहा है। ब्रिक्स का खाका 2006 में तैयार हुआ था, लेकिन इसकी पहली बैठक 2009 रूस में हुई थी। दक्षिण अफ्रीका की इसमें एंट्री 2011 में हुई थी। समय के साथ-साथ ब्रिक्स का विस्तार हुआ है। आज नौ सदस्य देशों के साथ ब्रिक्स दुनिया की 45 फीसदी आबादी को कवर कर रहा है। यह वैश्विक मुद्दों पर चर्चा का भी महत्वपूर्ण फोरम बन गया है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार भारत ने ब्रिक्स की सभी 15 बैठकों में हिस्सा लिया है। तीन बार भारत ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी की है। तीन शिखर सम्मेलन भारत में हुए हैं।
संबंधों के लिहाज से महत्वपूर्ण
भारत-चीन संबंधों के लिहाज से भी ब्रिक्स महत्वपूर्ण है। 2017 में चीन में जब ब्रिक्स सम्मेलन हुआ था तो ठीक उसके कुछ ही दिन पूर्व भारत-चीन के बीच डोकलाम में 73 दिन से कायम टकराव खत्म करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद 3-5 सितंबर 2017 को ब्रिक्स सम्मेलन के लिए मोदी चीन गए थे और दोनों नेताओं में द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। दोनों देशों ने तब कहा था कि वह एक दूसरे के लिए खतरा नहीं है, बल्कि विकास के साझीदार हैं। इस बार भी ब्रिक्स से ठीक पहले एलएसी पर कायम गतिरोध को दूर करने की दिशा में एक बड़े समझौते पर सहमित कायम होने की बात कही गई है। चीन से नए रिश्ते की शुरुआत हो सकती है।
चीन ने मोदी-जिनपिंग मुलाकात का सवाल टाला
चीन के विदेश मंत्रालय ने रूस में ब्रिक्स से इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच संभावित मुलाकात के बारे में सोमवार को पूछे गए सवालों को टाल दिया। कहा, अगर कोई बात सामने आती है तो हम आपको सूचित करेंगे।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार से कजान में शुरू हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। वह 22-24 अक्तूबर के बीच पीएम नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन समेत दिग्गजों का स्वागत करेंगे।
दुनिया के नए ताकतवर देशों का समूह
2006 में भारत, ब्राजील, रूस और चीन से मिलकर ब्रिक बना। वर्ष 2010 में इसमें दक्षिण अफ्रीका शामिल हुआ और ब्रिक्स बन गया। एक जनवरी 2024 को मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इसमें शामिल हुआ।
1. ब्रिक्स देशों का समूह दुनिया की 45 फीसदी करीब 450 करोड़ आबादी का नेतृत्व करता है।
2. समूह की अर्थव्यवस्था 28.5 ट्रिलियन डॉलर है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था का करीब 28 फीसदी है।
3. दस सदस्य देश दुनिया की आधी आबादी और एक तिहाई अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करते हैं।
4. सदस्य देशों की कोशिश डॉलर पर निर्भरता को लगभभग खत्म करना है।
5. इससे अंतरराष्ट्रीय मामलों में अमेरिका और यूरोपीय देशों को कड़ी टक्कर देने की कोशिश है।
इसका उद्देश्य क्या
ब्रिक्स का गठन दुनिया के बड़े विकासशील देशों को एकसाथ लाना था। इसके बूते दुनिया के संपन्न मुल्कों को अर्थव्यस्था और राजनीति के क्षेत्र में कड़ी टक्कर देनी है। सदस्य देश इसे आर्थिक और सामरिक स्तर पर बेहद मजबूत बनाना चाहते हैं।
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