नई दिल्ली. रूस (Russia) के कजान शहर (city of kazan) में आज एक ऐतिहासिक मीटिंग (Historic meeting) होने जा रही है, जिस पर अमेरिका (America) सहित पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं. इस मीटिंग में एशिया के दो दिग्गज देशों के राष्ट्र प्रमुख (Head of State) पूरे 5 साल बाद एक टेबल पर बैठकर औपचारिक बातचीत करने वाले हैं.
दरअसल, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) के बीच द्विपक्षीय बैठक होनी है. दुनियाभर में जारी उथल-पुथल और अलग-अलग देशों में चल रही जंग के बीच यह मीटिंग कई मायनों में खास है. जिनपिंग और पीएम मोदी का आमना-सामना इससे पहले 2019 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हुआ था और अब 2024 में फिर ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ही दोनों नेता आपस में मुलाकात करने जा रहे हैं.
विदेश सचिव ने की बैठक की पुष्टि
रूस के कजान शहर में प्रेस कांफ्रेंस कर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दोनों नेताओं के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता की पुष्टि कर दी है. मिस्री ने कहा कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच यह बैठक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर 23 अक्टूबर को होगी. हालांकि, समय बुधवार को ही तय किया जायेगा.
फाइव आइज को मिलेगा कड़ा जवाब
भारत पर कनाडा पिछले कुछ दिनों से लगातार बेबुनियाद आरोप लगा रहा है, जिसमें अमेरिका सहित कई फाइव आइज देश भी उसका पक्ष लेते नजर आ रहे हैं. जिनपिंग और पीएम मोदी की इस बैठक को फाइव आइज ग्रुप के खिलाफ कड़े जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है. बता दें कि अगर चीन के साथ संबंधों में सुधार आ जाता है तो भारत की पश्चिमी देशों के साथ बेहतर संबंध की निर्भरता काफी हद तक कम हो जायेगी.
दोनों देशों ने शुरू कर दी पेट्रोलिंग
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर भारत और चीन के बीच एक नई सहमति बनने के बाद आज दोनों देशों के बीच यह बैठक हो रही है. विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने एक बयान में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत और चीन डेमचौक और देपसांग से अपनी सेनाओं को पीछे हटाने और इलाके में फिर से पूर्व की तरह पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए सहमत हो गए हैं. उन्होंने कहा था दोनों देशों की सेनाओं ने पेट्रोलिंग शुरू कर दी है और सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया भी आगामी दिनों में शुरू हो जाएगी.
समझौते पर मिलकर काम करेंगे: चीन
चीन ने भी मंगलवार को एलएसी पर तनाव कम करने के लिए भारत के साथ हुए सैन्य समझौते की पुष्टि की थी. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था,’प्रासंगिक मामलों पर एक प्रस्ताव पर पहुंचा गया है और इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए हम नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करेंगे.’
पिछले 4 सालों से चला आ रहा तनाव
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से यह गतिरोध चल रहा है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. हालांकि दोनों पक्ष संघर्ष के कई बिंदुओं से पीछे हट गए हैं. बता दें कि 15-16 जून, 2020 को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए थे. दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबिक चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी. हालांकि, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने आज तक अपने सैनिकों की मौत की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
डेमचौक और देपसांग को लेकर था विवाद
गलवान में झड़प की घटना के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव काफी बढ़ गया था. दोनों देशों ने बड़ी संख्या में सैन्य तैनाती एलएसअी पर की थी और पेट्रोलिंग सस्पेंड कर दी गई थी. संघर्ष के दो प्रमुख बिंदु डेमचौक और देपसांग थे.
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