नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका (South Africa) अगले सप्ताह 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (brics summit) की मेजबानी के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए 22 से 24 अगस्त तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग (johannesburg) में रहेंगे। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स के पांच सदस्य देश हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चौथाई हिस्सेदारी रखते हैं। जोहान्सबर्ग में 22-24 अगस्त को होने वाला शिखर सम्मेलन 2019 के बाद पहली बार सभी नेता एक मंच पर बैठेंगे। 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का कार्यक्रम क्या है? पीएम मोदी के दक्षिण अफ्रीका दौरे का कार्यक्रम क्या है? ब्रिक्स सम्मेलन में कौन-कौन शामिल होने जा रहा है? सम्मेलन का एजेंडा क्या होगा? भारत के लिए यह बैठक क्यों अहम होगी? आइये समझते हैं…
15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका द्वारा की जा रही है। 22-24 अगस्त के बीच यह सम्मेलन जोहान्सबर्ग में होगा। इस वर्ष का विषय ‘ब्रिक्स और अफ्रीका’ रखा गया है। इससे पहले दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने ब्रिक्स देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने की पुष्टि की है। यह कोरोना महामारी और उसके बाद के वैश्विक प्रतिबंधों के उभरने के बाद व्यक्तिगत रूप से आयोजित होने वाला पहला ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होगा। प्रधानमंत्री मोदी शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 22 से 24 अगस्त तक जोहान्सबर्ग में रहेंगे। यहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उनकी मुलाकात तय मानी जा रही है। पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच बैठक से पहले भारत और चीन में सैन्य कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई है। बैठक का मकसद पूर्वी लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी और चुशुल समेत दो स्थानों पर जारी गतिरोध को सुलझाना था।
सम्मेलन के बाद अफ्रीका आउटरीच और ब्रिक्स प्लस डायलॉग का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दक्षिण अफ्रीका की ओर से आमंत्रित अन्य देश शामिल होंगे। पीएम मोदी जोहान्सबर्ग में मौजूद कुछ नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। शिखर सम्मेलन में ब्राजील, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता भाग लेंगे। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, भारत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा के अगले सप्ताह जोहान्सबर्ग में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। वहीं रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे।
जानकारी के मुताबिक, अगले सप्ताह के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में सभी अफ्रीकी देशों सहित कुल 69 देशों को आमंत्रित किया गया है। दक्षिण अफ्रीकी विदेश मंत्री नलेदी पंडोर ने बताया है कि लैटिन अमेरिका, एशिया और कैरेबियाई देशों के नेताओं को भी निमंत्रण भेजा गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। पुतिन सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेंगे। दक्षिण अफ्रीका ने कहा है कि आपसी समझौते से रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे, बैठक में रूसी संघ का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे।
दरअसल, मार्च में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने यूक्रेन में युद्ध अपराधों का आरोप लगाते हुए पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। दक्षिण अफ्रीका आईसीसी का एक हस्ताक्षरकर्ता है। अगर पुतिन देश में आते हैं तो आईसीसी के सदस्य होने के नाते दक्षिण अफ्रीका को पुतिन को गिरफ्तार करना पड़ेगा। ब्रिक्स समेलन की चर्चाएं राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक समन्वय के क्षेत्रों पर केंद्रित होंगी। इसमें सदस्य देश व्यापार के अवसर, आर्थिक आपूर्ति और सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करेंगे। ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में दक्षिण अफ्रीका पारस्परिक रूप से त्वरित विकास, सतत विकास और समावेशी बहुपक्षवाद पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसमें वैश्विक संस्थानों में सुधार और शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की सार्थक भागीदारी को मजबूत करना भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, अल्जीरिया, मिस्र और इथियोपिया सहित 40 से अधिक देशों ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने में रुचि दिखाई है। शिखर सम्मेलन के एजेंडे में ब्लॉक के विस्तार पर चर्चा होने की संभावना है।
यूक्रेन के साथ युद्ध को लेकर कूटनीतिक अलगाव का सामना कर रहे रूस ने विस्तार का समर्थन किया है। चीन ने भी समूह के विस्तार का समर्थन किया है। वहीं, भारत की सबसे बड़ी चिंता यह है कि ब्रिक्स ‘चीन-केंद्रित’ ब्लॉक न बन जाए। इससे पहले अगस्त में ब्राजील के राष्ट्रपति डी सिल्वा ने कहा था कि वह ब्रिक्स समूह में और अधिक देशों के शामिल होने के पक्ष में हैं। भारत ब्रिक्स को वैश्विक संतुलन, विविधता और बहुलता का एक अहम मंच मानता है। इससे पहले 2021 में पीएम मोदी ने कहा था कि समूह ने पहले डेढ़ दशक में बहुत सफलता हासिल की है। अब हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि आगामी 15 वर्षों में ब्रिक्स और उपयोगी बने।’
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