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अमेरिका से ट्रेड वॉर के बीच दो हिस्‍सों में बंटे ब्रिक्स देश, नई मुद्रा पर ठनी, भारत ने अपनाया अलग रुख

  • March 20, 2025

    नई दिल्‍ली । ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की अगुवाई में बने संगठन BRICS के सदस्य देश डॉलर (Dollar) की जगह अपनी मुद्रा (currency) अपनाए जाने के मुद्दे पर दो फाड़ हो गए हैं। पिछले साल रूस के कजान शहर में अक्टूबर में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन (Summit) के बाद से ही इस पर चर्चा होती रही है कि ब्रिक्स देश डॉलर की जगह अपनी नई मुद्रा अपना सकते हैं लेकिन इस साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद जहां पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर छिड़ चुका है, वहीं अब ब्रिक्स देश नई मुद्रा पर आपस में बंट गए हैं। भारत ने इस तरह की मुहिम में कोई रूचि नहीं दिखाई है और खुद को अलग कर लिया है।

    विदेश मंत्री एस जयशंकर के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने में भारत को कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने ये बात तब कही है, जब उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स के सदस्य देश डॉलर के मुकाबले किसी भी तरह के वैकल्पिक भुगतान प्रणाली पर कोई साझा निर्णय लेने में असफल रहे हैं। पिछले दिनों ब्रिटेन और आयरलैंड की छह दिवसीय यात्रा के दौरान लंदन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस में जयशंकर ने स्पष्ट शब्दों में डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता का स्रोत बताया है।


    नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच रिश्तों में मजबूती
    जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच आई है। इसके अलावा ट्रंप बार-बार चेतावनी देते रहे हैं कि अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर का प्रभुत्व कम करने की कोशिश की तो सख्त कदम उठाएंगे। ट्रंप प्रशासन ने चीन पर भारी भरकम टैक्स लगाया है। दूसरी तरफ यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर रूस संग लगातार बातचीत कर रहा है और संबंध बेहतर बनाने की कोशिशों में जुटा है। भारत भी अमेरिका से रिश्ते प्रगाढ़ कर रहा है और रिसिप्रोकल टैरिफ से बचने की जुगत में लगा है। जयशंकर ने नई दिल्ली और वॉशिंगटन के बीच बढ़ते व्यापारिक और राजनयिक रिश्तों की प्रशंसा की है। हालांकि उन्होंने चीन के साथ भी संबंधों में सुधार की आशा जाहिर की है।

    2008 से ही छटपटा रहा है चीन
    उधर, चीन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से ही डॉलर के विकल्प के रूप में युआन को आगे बढ़ा रहा है और अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ उनकी मुद्राओं के विनिमय समझौते पर दस्तखत कर चुका है। चीन की भी यह कोशिश है कि ब्रिक्स देश डॉलर की जगह दूसरी करंसी अपनाएं। ब्रिक्स के एक और सदस्य देश ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डि सिल्वा भी लंबे समय से अमेरिकी डॉलर की जगह वैकल्पिक करंसी की बात करते रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद लगे भारी आर्थिक प्रतिबंधों के बाद से ही रूस भी डॉलर की जगह नई मुद्रा विनिमय प्रणाली की बात करता रहा है।

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