धरा रह गया अनुशासन, हक छीनने की बात कह रहे ठगाए नेता
इन्दौर। पार्टी विथ डिफरेंट की बात करने वाली भाजपा (BJP) इस बार गच्चा खा गई। अनुशासन भी धरा रह गया और कई वार्डों में कार्यकर्ताओं ने नाामांकन फार्म (Nomination form) भर दिए। हालांकि कुछ कार्यकर्ता पार्टी के बड़े नेताओं की नसीहत मान गए और आगे भविष्य में कुछ अच्छा होने की संभावना लिए अपना नाम वापस ले लिया, लेकिन अभी भी भाजपा के आधा दर्जन से अधिक वार्डों में बागी खड़े हुए हैं, जो अधिकृत प्रत्याशी का समीकरण गड़बड़ कर सकते हैं।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नगर अध्यक्ष शेख असलम खुद अपनी पत्नी को चुनाव लड़ा रहे हैं। उन्हें कुछ माह पहले ही नगर अध्यक्ष बनाया गया था और वे टिकट की दौड़ में थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय तौर पर चुनाव में खड़े हो गए। वार्ड क्र. 54 में पार्टी के ही पूर्व पार्षद मंजू गोयल के पति राकेश गोयल भी निर्दलीय खड़े हुए हैं। गोयल के समर्थको ंने यहां से महेश बसवाल को बाहरी बताकर यहां से टिकट देने का कड़ा विरोध किया था। वे बसवाल की जीत के समीकरण $गड़बड़ कर सकते हैं। इसी वार्ड से लगे दूसरे वार्ड में पूर्व पार्षद वंदना यादव के पति कमल यादव भी किला लड़ा रहे हैं। कभी विधायक हार्डिया के खास रहे कमल आखिरी समय तक नहीं माने और उन्होंने नामांकन जमा कर दिया तो भागीरथपुरा के वार्ड नंबर 11 से मांगीलाल रेडवाल यहां के अधिकृत प्रत्याशी कमल वाघेला के समीकरण गड़बड़ कर सकते हैं। रेडवाल पहले भी जीतकर आए हैं और उन्हें पार्टी ने वापस ले लिया था। इसी तरह सूरज कैरो के भाई रमन कैरो ने भी अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार दिया है तो रूस्तम का बगीचा क्षेत्र से दो नंबर खेमे से जुड़े पंकज जाटव ने भी अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में खड़ा कर रखा है। कुछ और ऐसे भी वार्ड हैं, जहां मान-मनोव्वल के बाद भी बागी नहीं माने हैं।
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