नई दिल्ली । कैंसर (Cancer) जैसे असाध्य रोग के इलाज के तौर पर वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक (New technology) विकसित की है, जो स्तन कैंसर (Breast Cancer) का समय रहते पता लगाने में सहायक हो सकती है। इस तकनीक को ‘आईएचसी-नेट’ ‘IHC-Net’ नाम दिया गया है। ऐसे में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) के शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस तकनीक से स्तन कैंसर (Breast Cancer) से जूझ रही महिलाओं की जिंदगी बचाने में मदद मिलेगी।
डीप लर्निंग से जुड़ी आईएचसी-नेट नामक पद्धति को गुवाहाटी स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (IASST) द्वारा विकसित किया गया है, जो भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का ही एक स्वायत्त संस्थान है।
आईएएसएसटी (IASST) के शोधकर्ताओं का कहना है कि इस डीप लर्निंग आधारित तकनीक में एस्ट्रोजन या प्रोजेस्ट्रोन के स्तर का आकलन किया जाता है। इसमें इम्यूनोहिस्टोकेमेस्ट्री नमूनों का उपयोग किया जाता है, जिससे स्तन कैंसर के स्तर का पता लगाने में मदद मिलती है।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि एक ऐसा एल्गोरिदम विकसित किया है, जो यह पता लगाने में सक्षम है कि कैंसर कोशिकाओं और उनके तल पर हार्मोन के बीच आखिर क्या कड़ी जुड़ी हुई है। यह कैंसर की पहचान के लिए प्रचलित पारंपरिक बायोप्सी विश्लेषण से अलग है।
स्तन कैंसर को लेकर यह अध्ययन डॉ लिपि महंता और उनकी टीम ने गुवाहाटी के बी. बरुआ कैंसर इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर किया है। इस शोध को ‘अप्लाइड सॉफ्ट कंप्यूटिंग’ शोध पत्रिका में प्रकाशन के लिए स्वीकृत किया गया है।
भारतीय महिलाओं में होने वाले कैंसर के 14 प्रतिशत मामले स्तन कैंसर के होते हैं। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में इस बीमारी का समान प्रभाव एवं वितरण देखने को मिलता है। कैंसर का उपचार मिलने पर भारतीय महिलाओं के इस बीमारी से उबरने की दर 60 प्रतिशत है, जिसमें से 80 प्रतिशत महिलाएं 60 वर्ष से कम उम्र की होती हैं। ऐसे चिंताजनक आंकड़ों को घटाया जा सकता है, लेकिन यह तभी संभव है, जब कैंसर की पहचान और उसका उपचार शुरुआती चरणों में ही आरंभ कर दिया जाए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved