नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने मध्य प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के ही पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव (Panchayat and urban body elections) संपन्न कराने का आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को जया ठाकुर और सैयद जाफर की याचिका पर फैसला सुनाते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को 2 हफ्ते के अंदर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि तय शर्तों को पूरा किए बिना ओबीसी आरक्षण नहीं मिल सकता. अभी सिर्फ एससी/एसटी आरक्षण के साथ ही स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव संपन्न कराने होंगे।
अदालत ने स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार की सर्वेक्षण रिपोर्ट को अधूरा माना है. इसलिए अब स्थानीय चुनाव 36% आरक्षण के साथ ही होंगे. इसमें 20% एसटी और 16% एससी का आरक्षण रहेगा. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने 27% ओबीसी आरक्षण के साथ राज्य में स्थानीय निकाय एवं पंचायत चुनाव कराने की बात कही थी. इसीलिए यह चुनाव अटके हुए थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी।
प्रदेश सरकार की सर्वेक्षण रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हुआ सुप्रीम कोर्ट
शिवराज सरकार ने कहा था कि उम्मीद है कि आंकड़ों को तुलनात्मक अध्ययन के साथ 25 मई तक तैयार कर लिया जाएगा. लिहाजा सरकार को थोड़ा समय दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में फिलहाल के लिए ओबीसी आरक्षण ना देने पर आसमान नहीं गिर पड़ेगा और संकेत दिए थे कि मध्य प्रदेश सरकार के संकलित आंकड़े और सर्वेक्षण रिपोर्ट संतोषजनक नहीं होने पर राज्य में भी महाराष्ट्र के लिए तय व्यवस्था के आधार पर ही स्थानीय निकाय व पंचायत चुनाव संपन्न होंगे. अब शिवराज सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने को लेकर जो सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश की उससे सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्ट होकर बिना आरक्षण के ही चुनाव संपन्न कराने का आदेश दिया है.
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