नई दिल्ली। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, जब भी प्रधानमंत्री का काफिला सड़क पर चलता है तो राज्य के पुलिस महानिदेशक रूट का निरीक्षण करते हैं कि क्या पीएम यात्रा कर सकते हैं। इस मामले में पुलिस महानिदेशक ने हरी झंडी दे दी थी।
पीएम की कार के आगे एक चेतावनी कार भी होती है ताकि खतरे की आशंका होने पर काफिले को रोका जा सके। इस मामले में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को प्रदर्शनकारियों के साथ चाय की चुस्की लेते देखा गया। चेतावनी कार को सूचित नहीं किया गया था। मेहता ने दावा किया कि यह सीमा पार आतंकवाद से जुड़ा मसला है, लिहाजा इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को शामिल करने की जरूरत पड़ी।
दावा : पंजाब सरकार की बनाई टीम जांच में नहीं सक्षम
याचिकाकर्ता के वकील मनिंदर सिंह ने कहा, इस दौरे में पीएम के काफिले को रोकने की अनुमति नहीं थी और यह सबसे बड़ा उल्लंघन है। ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस मामले में पेशेवर रूप से जांच होनी चाहिए जबकि पंजाब सरकार की बनाई टीम इसमें सक्षम नहीं है।
पंजाब की दलील, मामले को हल्के में नहीं ले रहे
पंजाब के महाधिवक्ता डीएस पटवालिया ने तर्क दिया कि राज्य सरकार सुरक्षा चूक को हल्के में नहीं ले रही है। जांच समिति का गठन उसी दिन किया गया था जिस दिन घटना हुई थी न कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद।
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