ग्वालियर। शहर में बीते दिनों कोरोना संक्रमण का शिकार बने सैकड़ों लोग कोरोना से तो जंग जीत गए लेकिन ठीक होने के बाद तीस से चालीस फीसदी लोग मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यह दिमागी अवसाद भविष्य में दोबारा संक्रमित होने की चिंता, मानसिक तौर पर थकावट, तनाव तथा शारीरिक थकावट ठीक हो चुके लोग महसूस कर रहे हैं जिसके कारण ही उनमें मानसिक परेशानी बढ़ गई है। यदि समय पर इलाज नहीं लिया तो यह मानसिक परेशानी बड़ी समस्या बन जाती है।
कोविड-19 यानि कोरोना संक्रमण का शिकार होकर इलाज लेने के बाद सैकड़ों मरीज कोरोना संक्रमण से तो सौ फीसदी स्वस्थ हो चुके हैं, लेकिन संक्रमण का डर ऐसे ठीक हो चुके मरीजों के दिमाग में बैठ जाने के कारण ऐसे चालीस फीसदी मरीजों को ठीक होने के बाद रात में ठीक से नींद नहीं आना, घबराहट, पूरे शरीर में कंपन होना, तनावग्रस्त रहने के साथ सांस लेने में तकलीफ होने जैसी समस्याओं से ऐसे लोग ग्रसित होकर इलाज के लिए मनोचिकित्सक के पास इलाज लेने पहुंच रहे हैं।
जेएएच में पदस्थ मनोचिकित्सक प्रोफेसर डॉ. कमलेश उदैनिया ने रविवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में बताया कि इन दिनों ऐसे अवसाद की समस्या को लेकर मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। कोरोना को मात दे चुके ये मरीज सकारात्मक सोच रखें। साथ ही अपनी दिनचर्या पूर्व की तरह से अपनाएं। अधिक समय परिवार के बीच व्यतीत करें। साथ ही सुबह के साथ ही रात में सोने से पहले हल्का व्यायाम करने के साथ ही अपना समय एकांत में न गुजारें। सकारात्मक सोच रखने पर व्यक्ति जल्द ही अवसाद से मुक्त हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद जिन मरीजों ने इस जानलेवा बीमारी की भयावह स्थिति देखी और कई दिनों तक वेंटीलेटर सपोर्ट पर रहने के बाद ठीक हुए हैं, ऐसे लोगों में मनोरोग जैसी समस्या अधिक देखने को मिल रही है। उन्हें डर है कि अगर दोबारा संक्रमित हो गए तो क्या होगा। ऐसे लोगों को उन्होंने कोरोना के नियमों का पालन करने की सलाह देते हुए खान-पान में सादगी बरतने की सलाह दी है।