डेस्क: एक समय था जब ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी 50 साल से अधिक उम्र में होती थी, लेकिन अब युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल इस डिजीज के होने का एक बड़ा कारण है. हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल इसके ट्रिगर फैक्टर हैं. कुछ लोगों में जेनेटिक कारणों से भी ये बीमारी हो सकती है. युवा मरीजों में इस्केमिक स्ट्रोक ज्यादा हो रहे हैं.
डॉक्टर बताते हैं कि एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है. जिसमें ब्रेन के अंदर मौजूद ब्लड सप्लाई करने वाले नसें फट जाती हैं. इस बीमारी का शिकार होने वाले हर तीसरे व्यक्ति की मौत हो जाती है. जो लोग बच जाते हैं उनको दिव्यांगता का सामना भी करना पड़ जाता है. हालांकि ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण कुछ दिनों पहले ही दिखने लगते हैं. समय पर सिम्पटम्स की पहचान से मरीज की जान बचाई जा सकती है.
ये होते हैं ब्रेन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षण
न्यूरो सर्जन बताते हैं कि अब 40 से कम उम्र में भी ब्रेन स्ट्रोक के केस आ रहे हैं. इसके शुरुआती लक्षणों में सिर में सुबह अचानक तेज दर्द और चक्कर आना शामिल है. ये लक्षण स्ट्रोक आने से कुछ दिनों पहले दिख सकते हैं. कुछ मामलों में ब्रेन में हल्का अटैक भी आता है, लेकिन इसका आसानी से पता नहीं चल पाता है. अगर आपको अचानक से संतुलन बनाने में दिक्कत हो रही है या फिर आंखों के सामने अंधेरा छा रहा है तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए. ये ब्रेन स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है. इस परेशानी के दिखने पर लापरवाही न करें.
ये हैं स्ट्रोक आने के कारण
डॉ. बताते हैं कि सही रूटीन को न अपनाने की वजह से लोग ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं. आजकल सोने और जगने का पैटर्न बदल रहा है. लोग लेट सोते हैं. खानपान पर भी ध्यान नहीं देते हैं. जिससे ये परेशानी होती है. जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है उनको भी स्ट्रोक आने का खतरा काफी ज्यादा होता है. कई मामलों में मानसिक स्ट्रेस भी इस बीमारी का कारण बन जाता है.
ऐसे करें बचाव
ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए लाइफस्टाइल को ठीक रखें. अगर इसके लक्षण दिख रहे हैं तो अस्पताल जाएं. मरीज को तीन से चार घंटे के भीतर अस्पताल लेकर जरूर पहुंच जाएं. ये इस बीमारी के इलाज का गोल्डन पीरियड होता है. इससे ज्यादा देर होने पर मौत का खतरा बढ़ता रहता है.
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