नई दिल्ली। एक ब्रेन-डेड महिला (brain-dead woman) अंगों ने पांच लोगों की जिंदगियां बचाई हैं। एक ब्रेन डेड महिला के परिवार के सदस्यों ने उसके अंग दान कर दिए, जिससे किडनी प्रत्यारोपण (kidney transplant) की प्रतीक्षा कर रहे दो सैनिकों की जान बच गई।
रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) के अनुसार, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद एक युवती को उसके जीवन के अंतिम चरण में पुणे के कमांड अस्पताल (दक्षिणी कमान) में लाया गया था। भर्ती करने पर, उसके मस्तिष्क में जीवन के महत्वपूर्ण लक्षण नहीं पाए गए।
ब्रेन-डेड महिला के अंग दान करने से पांच लोगों को नया जीवन मिला है, जिसमें सेना के दो जवान भी हैं। पुणे के कमांड हॉस्पिटल साउथर्न कमांड (CHSC) यह डोनेशन किया गया।
पीआरओ ने बताया कि हॉस्पिटल के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर से बातचीत के बाद परिवार वालों ने इच्छा जाहिर की कि उसका अंग दान किया जाना चाहिए। जो कि जरूरतमंद लोगों को काम आ सके। जरूरी मंजूरियां मिलने के तुरंत बाद ट्रांसप्लान्ट टीम को काम पर लगा दिया गया। साथ ही जोनल ट्रांसप्लान्ट कोऑर्डिनेशन सेंटर (ZTCC) और आर्मी ऑर्गन रीट्रिवल एंड ट्रांसप्लान्ट अथारिटी (AORTA) को भी सूचना दे दी गई।”
14 जुलाई की रात और 15 जुलाई की सुबह अंगों का ट्रांसप्लान्ट किया गया। भारतीय सेना के दो जवानों के शरीर में किडनी ट्रांसप्लांट की गई। आंखें CH(SC)- आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज कॉम्लेक्स में सुरक्षित रख दी गईं। लीवर पुणे के रुबी हाल क्लिनिक में एक मरीज को ट्रांसप्लांट कर दिया गया। कुल पांच लोगों का जीवन बचाया गया।
मृत्यु के बाद अंगदान और अस्पताल के समन्वित प्रयास के चलते गंभीर रूप से बीमार पांच रोगियों को जीवन और दृष्टि मिली। डिफेंस विभाग ने कहा कि यह इस विश्वास को मजबूत करता है कि “अपने अंगों को स्वर्ग में मत ले जाओ, भगवान जानता है कि हमें यहां उनकी जरूरत है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved