इंदौर। हत्या कर जिस ड्राइवर कृष्णेंद्र (Driver Krishnendra) उर्फ बबलू को पत्नी ने प्रेमी और अन्य की मदद से गाड़ा था, उसके शव को पुलिस ने गड्ढे से बाहर निकाला और पोस्टमार्टम (post mortem) कराया। आज अंतिम संस्कार किया गया।
बताया जा रहा है कि कृष्णेंद्र को भाई प्रवेंद्र (brother pravendra) ने मुखाग्नि दी। सुनीता से शादी के बाद कृष्णेंद्र ने भाई से दूरी बना ली थी। कृष्णेंद्र का एक बेटा प्रशांत पिता की हत्या की वारदात में शामिल होने के चलते पुलिस रिमांड पर है, जबकि छोटे नाबालिग बेटे (younger son) से भी पूछताछ की जा रही है। पति को मौत के घाट उतारने वाली महिला और उसके बेटे को न्यायालय ने 28 फरवरी तक रिमांड पर भेजने के आदेश दिए हैं। 12 साल पूर्व कातिल महिला पुराने पति को छोड़ चुकी थी और फिर चार माह पूर्व कृष्णेंद्र उर्फ बबलू जादौन के संपर्क में आ गई थी।
जिस दिन हत्या की गई, उसके एक दिन पहले ही बबलू तमिलनाडु (Tamil Nadu) से घर लौटा था और अगले दिन आंध्रप्रदेश (Andra Pradesh) जाने की तैयारी में था। पूछताछ के दौरान महिला ने कहा कि उसे घटना पर कोई अफसोस नहीं है। उसका कहना था कि क्या करती। पुलिस हत्याकांड में शामिल आरोपी रिजवान कुरैशी और भय्यू कुरैशी की तलाश कर रही है। बताया जा रहा है कि बबलू 6 फरवरी को तमिलनाडु से घर लौटा था। उसके भाई रवींद्र ने बताया कि आठ दिन पूर्व से ही उसका भाई से संपर्क नहीं हो पाया था। उसके एक साथी, जो बस ड्राइवर है, ने बताया कि वो अगले दिन आंध्रप्रदेश जाने वाले थे, लेकिन इस बीच दोपहर में सुनीता ने उसे घर पर बुला लिया और बाद में उसका मोबाइल बंद आ रहा था। पुलिस इस जघन्य हत्याकांड के बारे में पूछताछ कर रही है। साथ ही बबलू के अन्य अंगों को भी खोजने का प्रयास कर रही है, जो अन्य जगह फेंके गए हैं।
बबलू के लाखों रुपए का पता नहीं चला
बबलू के पास रखे तीन लाख रुपए गायब हैं। शंका है कि हत्या करवाने वाली पत्नी और बेटे ने यह रुपए चुराए। बबलू के परिजन का कहना है कि उसने हंस ट्रेवल्स की बस पर कई दिनों तक ड्राइवरी की। रास्ते में बैठने वाली एक्स्ट्रा सवारियों (extra riders) के पैसे ड्राइवर और कंडक्टर कमाते थे, जिसके चलते बबलू ने घर खर्च के अलावा कुछ प्राइवेट सेविंग भी थी। उसका बैंक खाता नहीं था। वह रुपयों को या तो साथ रखता था या घर में कहीं रखता था। उसके पास करीब तीन लाख रुपए थे। यह बात उसने दोस्त विनोद को भी बताई थी। इनमें से कुछ रुपयों से वह बेटे को रिक्शा लाकर देने वाला था। हत्या के बाद इन रुपयों का अभी तक पता नहीं चला है। बबलू ने 15 दिन पहले ही हंस ट्रेवल्स की नौकरी छोड़ी थी। उसके बाद वह शोरूम की नई गाडिय़ों को इंदौर से दूसरे शहरों में लाने-ले जाने का काम करता था।
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