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    पैदायशी दिव्यांग साम्या को जन्मदिन पर तोहफे में मिला हाथ, अस्पताल ने किया बड़ा दावा

  • February 05, 2023

    नई दिल्ली। गुजरात के भरूच की रहने वालीं 18 वर्षीय साम्या मंसूरी को जन्मदिन पर सबसे अच्छा तोहफा मिला। बीसीए कर रहीं साम्या बिना हाथ के ही पैदा हुई। मुंबई के ग्लोबल हॉस्पिटल में शनिवार को साम्या को एकांगी हाथ प्रत्यारोपण का तोहफा मिला। अस्पताल का दावा है कि देश में यह इस तरह का पहला प्रत्यारोपण है।

    अस्पताल के मुताबिक साम्या जब पैदा हुईं, तो उसका दायां हाथ नहीं था। प्रत्यारोपण के बाद साम्या ने कहा, यह दूसरी जिंदगी मिलने जैसा है। अब तक की जिंदगी एक हाथ के बिना गुजारी है। दूसरों की तुलना में एक हाथ कम होने की तकलीफ बचपन से अबतक झेली है। अब सब तरफ दोनों हाथों से बहुत सी चीजें करनी हैं। गाड़ी चलाने से लेकर तमाम कौशल सीखने हैं।

    साम्या कहती हैं, वे पुलिस अधिकारी बनकर खासतौर पर साइबर क्राइम के खिलाफ काम करना चाहती हैं। जब से उन्हें जानकारी मिली थी कि उन्हें हाथ लगने वाला है, तभी से वह उन कामों के बारे में सोचने लगीं, जिनके लिए दोनों हाथों की जरूरत होती है। स्कूल के दिनों को याद करते हुए साम्या कहती हैं, तब अक्सर सहपाठी हाथ को लेकर उन्हें चिढ़ाते थे। इस वजह से घर से बाहर निकलना तक बंद कर दिया था, लेकिन अब कोई कुछ नहीं कह पाएगा।


    साम्या ने कहा, समाज को जन्मजात चुनौतियों का सामना करने वाले बच्चों के साथ अच्छे ढंग से पेश आना चाहिए। उनकी दिव्यांगता उनका चुनाव नहीं, जिसके लिए उन्हें दोष दिया जाए या फिर चिढ़ाया जाए, बल्कि प्रकृति से उन्हें दूसरों की तुलना में कम मिला है। लिहाजा सभ्य और सामाजिक प्राणी होने के नाते ऐसे लोगों की मदद करनी चाहिए। साम्या ने ज्यादा से ज्यादा लोगों से अंगदान करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अभी वे दुनिया में सबसे ज्यादा खुश हैं, क्योंकि किसी ने अपनी जिंदगी के बाद भी खुद को लोगों के काम आने का जज्बा दिखाया। अगर ज्यादा से ज्यादा लोग अंगदान करने लगें, तो बहुत सारे दिव्यांग और जरूरतमंद लोगों के लिए नई जिंदगी मिल सकती है।

    साम्या के पिता शहनाज मंसूरी ने बताया कि उनकी बेटी 10 जनवरी को 18 वर्ष की हुईं। प्रत्यारोपण से जुड़े डॉ. निलेश सतभाई ने बताया कि साम्या की पिछले दो वर्ष से काउंसलिंग चल रही थी। हालांकि, हाथ का प्रत्यारोपण करने के लिए उसका 18 वर्ष का होना जरूरी था। यह भारत में अपनी तरह का पहला प्रत्यारोपण है, जब हाथ के बिना पैदा होने वाले शख्स को हाथ का लगाया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक संयोग है कि साम्या को 18 वर्ष का होते ही परफेक्ट मैच मिल गया।

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