नई दिल्ली। संसद (Parliament) के 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र (Monsoon session) के दौरान दोनों सदनों में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद (Border dispute with China) पर चर्चा (Discussion) होगी। विपक्षी दल इस मुद्दे पर (Issue) सरकार से स्थिति रिपोर्ट की मांग कर रहे हैं।
यह तब स्पष्ट हुआ, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो पूर्व रक्षा मंत्रियों – ए. के. एंटनी और शरद पवार से मानसून सत्र से ठीक तीन दिन पहले शुक्रवार को मुलाकात की। बैठक के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी मौजूद थे। सिंह ने चीन के साथ चल रही तनावमुक्ति वार्ता के बीच उनसे मुलाकात की।
इसके अलावा कांग्रेस ने हाल ही में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की अध्यक्षता में संसद की रणनीति की बैठक के दौरान संसद के आगामी मानसून सत्र में चीन के साथ सीमा मुद्दे को उठाने का फैसला किया है।
19 जुलाई से शुरू हो रहा सत्र 13 अगस्त को समाप्त होगा।
इस महीने की शुरूआत में, चीनियों ने 6 जुलाई को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के जन्मदिन समारोह के दौरान डेमचोक में नियंत्रण रेखा के पास बैनर प्रदर्शित किए थे।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान और नागरिक लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में सिंधु नदी के दूसरी तरफ आ गए थे।
एक अधिकारी ने कहा, उन्होंने विरोध में अपना झंडा लहराया, जब भारतीय पक्ष के ग्रामीण जन्मदिन मना रहे थे। अधिकारी ने कहा कि वे पांच वाहनों में आए थे और बैनर और झंडे उठाए हुए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को उनके 86वें जन्मदिन पर बधाई दी थी। यह पहली बार था, जब मोदी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उन्होंने दलाई लामा के साथ बात की।
चीन के साथ चल रहे गतिरोध के बीच, भारत ने पहली बार अपनी मुद्रा बदली है। वह अपने पिछले रक्षात्मक दृष्टिकोण के विपरीत अब काफी आक्रामक भी है। भारत चीन के किसी भी नापाक कदम का जवाब देने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सैन्य प्रमुख नरवणे कई मौकों पर स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि भारत अपनी संप्रुभता और यथास्थिति बनाए रखने के लिए अडिग है और किसी भी नापाक इरादे का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए इसकी सेना तैयार है।
भारत ने लगभग 50,000 सैनिकों को भी पुनर्निर्देशित किया है, जिनका मुख्य ध्यान चीन के साथ विवादित सीमा पर होगा।
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