इंदौर। पूरे प्रदेश में आज से भाजपा की महत्वपूर्ण इकाई बूथ समिति के चुनाव होने जा रहे हैं। प्रदेश संगठन ने चुनाव प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी पार्षद या विधायक के दबाव में आकर बूथ अध्यक्ष और उसकी समिति नहीं बनाई जाए। पूरी प्रक्रिया से जनप्रतिनिधियों को दूर रखने के लिए भी कहा गया है, ताकि संगठन में किसी का हस्तक्षेप नहीं हो सके।
इंदौर शहर के करीब 2600 बूथों पर आज से चुनाव शुरू हो रहे हैं। चुनाव के दौरान भाजपा की बूथ इकाई ही सबसे महत्वपूर्ण रोल निभाती हैं। इसमें मतदाता सूची के आधार पर पन्ना प्रभारी भी बनाए जाएंगे। पन्ना प्रभारियों में वरिष्ठ नेताओं को शामिल करने के लिए कहा गया है, लेकिन संगठन ने निर्देश दिए हैं कि संगठन चुनाव में किसी भी तरह से जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाए। सत्ता और संगठन दोनों अलग-अलग रहे, इसका ध्यान रखें। दरअसल चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधि जिसमें पार्षद और विधायक अपने-अपने हिसाब से बूथ समितियों का गठन करवाकर अपने समर्थकों को उसमें शामिल करवा देते हैं और जब चुनाव होते हैं, तब अगर उन्हें टिकट नहीं मिलता है तो बूथ पर उनके समर्थक काम नहीं करते हैं और इससे पार्टी को नुकसान होता है।
इसलिए बूथ समितियों में पार्षद और विधायक के समर्थकों को शामिल नहीं करने को लेकर निर्देश दिए गए हैं। वैसे दबी जुबां में भाजपा के ही नेता स्वीकारते हैं कि हर जनप्रतिनिधि चाहता है कि उसका समर्थक इन समितियों में रहे, ताकि चुनाव के दौरान उसे इसका लाभ मिल सके।
चुनाव परिणामों से सबक लिया
एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले वोट से ये सबक लिया गया है कि जनप्रतिनिधियों को इससे दूर रखें, ताकि किसी नए व्यक्ति को टिकट देने के बाद संगठन में गड़बड़ी न हो।
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