मुंबई । महाराष्ट्र(Maharashtra) विधानसभा चुनाव (assembly elections)के नतीजों ने भाजपा के नेतृत्व(The BJP leadership) वाली महायुति सरकार (grand alliance government)की वापसी पक्की कर दी है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर असमंजस जारी है। चुनाव से पहले राज्य की कमान संभालने वाले एकनाथ शिंदे को सीएम पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में साफ किया कि उन्हें भाजपा के मुख्यमंत्री से कोई आपत्ति नहीं है। शिंदे के इस बयान ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है और कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने से महायुति से मराठा समुदाय नाराज हो सकता है। साथ ही सवाल यह भी उठता है कि क्या शिंदे की यह ‘कुर्बानी’ उद्धव ठाकरे को फायदा पहुंचाएगी और इससे महायुति को नुकसान होगा। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि शिंदे के मुख्यमंत्री न बनने पर उनकी भूमिका और शिवसेना के जनाधार पर इसका क्या असर पड़ेगा। आइए सामझते हैं।
एकनाथ शिंदे के कद पर क्या पड़ेगा असर
एकनाथ शिंदे मराठा समाज में मजबूत पकड़ रखते हैं और मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने इस समुदाय की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास किया। अगर वे मुख्यमंत्री नहीं बनते, तो इससे मराठा समाज में नाराजगी पैदा हो सकती है, जिससे सरकार की साख पर असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि भाजपा जो पहले मराठा समाज का एक बड़ा वोटबैंक साधने की कोशिश कर रही है, इस स्थिति में चुनौतीपूर्ण हालात का सामना कर सकती है।
उद्धव ठाकरे को मिलेगा राजनीतिक लाभ?
शिंदे का मुख्यमंत्री न बन पाना उद्धव ठाकरे की राजनीति को एक नया अवसर दे सकता है। अब तक शिवसेना के विभाजन और चुनाव आयोग में हार के बाद कमजोर मानी जा रही उद्धव ठाकरे की स्थिति, शिंदे के नेतृत्व में अस्थिरता के चलते मजबूत हो सकती है। पार्टी में दो फाड़ होने के बाद शिवसेना के विचारधारा आधारित मतदाता अभी तक भ्रमित थे, एकनाथ शिंदे के लीडरशिप गैप की वजह से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व फिर से विश्वास जगा सकते हैं।
बीएमसी चुनाव में होगी शिवसेना बनाम शिवसेना की तकरार
वहीं शिवसेना के लिए मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनाव एक निर्णायक मोड़ साबित होगा। शिंदे और ठाकरे दोनों के लिए यह चुनाव केवल एक स्थानीय लड़ाई नहीं है, बल्कि शिवसेना की विरासत और पहचान के लिए एक निर्णायक संघर्ष है। सत्ता में रहने से मिलने वाला फायदा जहां शिंदे के पक्ष में जा सकता था, वहीं मुख्यमंत्री न बनने की स्थिति में यह लाभ कमजोर हो सकता है।
क्या राज ठाकरे जैसी हो जाएगी शिंदे की स्थिति?
राज ठाकरे की मौजूदा स्थिति एक उदाहरण है कि सत्ता की राजनीति से बाहर होना किस तरह विनाशकारी साबित हो सकता है। अगर एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने से चूकते हैं, तो उनकी भूमिका भाजपा के साये में सीमित हो सकती है जिससे उनकी स्वतंत्र पहचान खतरे में पड़ सकती है।
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