नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश की नौसेनाएं 3 अक्टूबर को बंगाल की उत्तरी खाड़ी में द्विपक्षीय अभ्यास ’बोंगोसागर’ करेंगी। दोनों देशों के बीच यह दूसरा अभ्यास होगा। पहला संस्करण 2019 में आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य समुद्री अभ्यास के साथ ही अंतर-संचालन और संयुक्त परिचालन में कौशल विकसित करना है। यह अभ्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन ‘सागर-सभी क्षेत्र में सुरक्षा और विकास’ के तहत भारतीय और बांग्लादेशी नौसेना की प्राथमिकता को दर्शाता है।
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि द्विपक्षीय अभ्यास ’बोंगोसागर’ में दोनों नौसेनाओं के जहाज सतह युद्ध अभ्यास, सीमन्सशिप इवोल्यूशन और हेलीकॉप्टर ऑपरेशन में भाग लेंगे। इस अभ्यास के बाद बंगाल की उत्तरी खाड़ी में 4 से 5 दिसम्बर, 2020 तक भारत और बांग्लादेश की नौसेनाएं अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) के साथ संयुक्त गश्त करेंगी। इस समन्वित गश्ती (कॉर्पैट) ने दोनों नौसेनाओं के बीच समझ को मजबूत करने के साथ ही गैरकानूनी गतिविधियों का संचालन रोकने के उपायों को स्थापित किया है। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस किल्टन, स्वदेश निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर कार्वेट, आईएनएस खुखरी, स्वदेशी गाइडेड-मिसाइल कार्वेट और बांग्लादेश नेवल शिप अबू बक्र, एक गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट और प्रेटॉय भाग लेंगे। इसके अलावा दोनों नौसेनाओं के हेलीकॉप्टर, समुद्री पेट्रोल एयरक्राफ्ट भी अभ्यास में भाग लेंगे।
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार भारत और बांग्लादेश के बीच इन गतिविधियों के चलते संबंध मजबूत हुए हैं। दोनों देश के लोग घनिष्ठ सांस्कृतिक बंधन, लोकतांत्रिक समाज की साझा दृष्टि और नियमों पर आधारित आदेश भी साझा करते हैं। यह द्विपक्षीय अभ्यास ’बोंगोसागर’ बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती आयोजित होने के बाद अधिक महत्व रखता है। ‘बोंगोसागर’ और दिसम्बर में तीन दिनों तक होने वाला समन्वित गश्ती (कॉर्पैट) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन ‘सागर-सभी क्षेत्र में सुरक्षा और विकास’ के तहत भारतीय और बांग्लादेशी नौसेना की प्राथमिकता को दर्शाता है।
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