नई दिल्ली। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने बृहस्पतिवार को महाराष्ट्र सरकार (Government of Maharashtra) को आदेश दिया है कि वह जांच करे कि कोविड-19 (Covid19) से संबंधित दवाएं और इंजेक्शन राजनेता (politician) व अभिनेता ( actor) जरूररतमंदों के लिए कैसे खरीद लेती हैं। ऐसे में जब यह दवाएं सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इन दवाओं की खरीद के लिए केवल केंद्र सरकार (central government) अधिकृत है।
कोविड-19 (Covid19) से से संबंधित दवाओं और इंजेक्शनों के सुव्यवस्थित करने व महामारी से संबंधित मुद्दों के उचित प्रबंधन की मांग वाली जनहित याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अमजद सैय्यद और जीएस कुलकर्णी की अवकाश पीठ सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी हस्तियों का दूसरों की मदद करने का नेक इरादा हो सकता है। ये लोग शायद यह नहीं जानते होंगे कि वे कानूनी ढांचे की अवहेलना कर रहे हैं। इसलिए अवैध खरीद (Illegal purchase), जमाखोरी (Hoarding), कालाबाजारी (Black marketing) और नकली दवाएं उपलब्ध कराने जैसे मुद्दों को खारिज करने के लिए इस मामले जांच की जानी चाहिए। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी के दाखिल जवाब पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है।
कुंभकोनी ने कहा, मामले में राज्य सरकार ने कांग्रेस विधायक जीशान सिद्दकी, अभिनेता सोनू सूद के चैरिटी फाउंडेशन व कुछ अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जवाब में सिद्दीकी और सूद ने कहा कि न तो उन्होंने दवाइयों व इंजेक्शनों को खरीदा और न ही जमा किया। वे सीधे दवा निर्माताओं के संपर्क में थे। कुछ मामलों में भुगतान के साथ व कुछ में बिना भुगतान के उन्होंने सुविधा पहुंचाने का काम किया। कुंभकोनी ने कहा कि राज्य सरकार ने रेमडेसिविर की आपूर्ति के आरोप में सिप्ला व दूसरी दवा निमार्ता कंपनी को भी नोटिस जारी किया है। इस मामले की जांच अब भी चल रही है। हम जांच को उसके परिणाम तक ले जाएंगे।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ को बताया कि केंद्र पहले ही रेमडेसिविर और अन्य कोविड-19 रोधी दवाओं के निर्माताओं से पूछताछ कर चुका है। उन्होंने किसी भी राजनेता या अभिनेता को इसकी आपूर्ति करने से इनकार किया है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से कहा, सूद चैरिटी फाउंडेशन ने अपने जवाब में कहा कि उसने सिप्ला व अन्य निर्माताओं से संपर्क किया है। महाराष्ट्र सरकार केंद्र के हलफनामे पर ध्यान दे और इसकी जांच जारी रखे। अगर मशहूर हस्तियां कहती हैं कि उन्हें यह निर्माताओं से मिला है, लेकिन निर्माता इनकार करते हैं, तो इसकी जांच की जानी चाहिए।
हाईकोर्ट ने पूछा, क्या यह संभव है
हाईकोर्ट ने सवाल किया कि यह कैसे संभव हो सकता है कि दवाओं के लिए मशहूर हस्तियां सीधे दवा कंपनियों के संपर्क में थे, जबकि दवाओं का आवंटन केवल केंद्र के माध्यम से होना है। हाइकोर्ट ने पूछा क्या आपके अधिकारी इसे मान सकते हैं? क्या यह संभव है।
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