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    45 से ज्यादा भूखंडों की रजिस्ट्रियों को छुपाकर बनाई बोगस टाइटल सर्च रिपोर्ट

  • November 22, 2023

    • ईओडब्ल्यू ने जो महिराज गृह निर्माण के मामले में एफआईआर दर्ज की, उसमें सरकारी विभागों के अफसरों के साथ पहली बार बैंक मैनेजर के साथ सर्च और असेसमेंट करने वाले बाहरी जिम्मेदार भी फंसे
    • बैंक अफसरों ने दे डाली करोड़ों की गारंटी के साथ ओवर ड्राफ्ट सुविधा भी

    इंदौर। गृह निर्माण संस्थाओं के घोटालों की कड़ी में शामिल रही महिराज गृह निर्माण के मामले में अभी ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है, जिसमें कई आरोपी बनाए गए, जिनमें सरकारी विभागों के साथ-साथ बैंक मैनेजर तो फंसे ही, साथ ही पहली बार असेसमेंट और सर्च रिपोर्ट देने वाले बाहरी जिम्मेदारों को भी आरोपी बनाया गया है। इन पर आरोप है कि 45 से अधिक रजिस्ट्री हो चुके भूखंडों की जमीन के बोगस टाइटल सर्च रिपोर्ट तैयार की और बैंक ने भी आंख मूंदकर करोड़ों रुपए की गारंटी के साथ ओवर ड्राफ्ट की सुविधा दे डाली।

    28 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का गबन संस्था और बैंक के जरिए उजागर हुआ, जिसके चलते संचालक मंडल के साथ इस घोटाले में लिप्त केशव नाचानी के खिलाफ भी भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध कर ईओडब्ल्यू ने जांच शुरू कर दी। यह भी आश्चर्य की बात है कि भ्रष्टाचार की जांच करने वाली दो एजेंसियों की कार्रवाई अभी चुनावी हल्ले के बीच भी सुर्खियों में रही। अभी पिछले ही दिनों जेल में बंद भूमाफिया दीपक मद्दे से जुड़ी त्रिशला गृह निर्माण की जमीन को सरकारी घोषित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ ही लोकायुक्त ने जांच शुरू कर दी, तो दूसरी तरफ इसी तरह के मामले में ईओडब्ल्यू ने उन अधिकारियों को दोषी पाया जिन्होंने नियमों को ताक पर रख अनुमतियां जारी की। यानी अधिकारी कार्रवाई करे तब भी जांच और गलत अनुमतियां दें और घोटाला होने दें तब भी जांच होती है। ईओडब्ल्यू एसपी धनंजय शाह ने बताया कि अभी महिराज गृह निर्माण के मामले में शिकायत मिली और उस आधार पर जब जांच की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

    इस संस्था की जमीन खजराना में खसरा नं. 122/1 की 4.05 एकड़ है, जिस पर राधे विहार नामक कॉलोनी विकसित करते हुए सदस्यों को भूखंडों का आबंटन और विक्रय 1999 से 2005 तक किया गया। संस्था के विभिन्न अध्यक्षों ने 45 से अधिक भूखंड बेटे और 2006 में समीर खान नामक व्यक्ति संस्था अध्यक्ष बना, जिसके लिए कोई चुनाव भी नहीं हुआ और ना संचालक मंडल की बैठक बुलाई गई। भूमाफियाओं क गिरफ्त में आई इस संस्था की जमीन का अवैध रूप से विक्रय तो किया ही, वहीं वाणिज्यिक उपयोग का अभिन्यास भी नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर करवा लिया। संस्था की उक्त जमीन 2 करोड़ रुपए में नोबल रियल इस्टेट के डायरेक्टर केशव कुमार नाचानी को बेच दी गई, जिसके लिए ना तो संचालक मंडल की बैठक हुई और ना ही कोई ठहराव प्रस्ताव पारित किया। और फिर बैंक ने करोड़ों रुपए की गारंटी और ओवर ड्राफ्ट की सुविधा दे डाली, जिसके चलते ईओडब्ल्यू ने महिराज गृह निर्माण के अध्यक्ष समीर खान, तत्कालीन संचालक मंडल के सदस्यों, नोबल रियल इस्टेट के केशव नाचानी, नगर तथा ग्राम निवेश के तत्कालीन संयुक्त संचालक कुलश्रेष्ठ के अलावा इंडसइंड बैंक के तत्कालीन मैनेजर राजेश मंडल, झोनल प्रबंधक धर्मेन्द्र जाखोडिय़ा, प्रदीप भावे के साथ टाइटल सर्चकर्ता रमेशचंद्र माहेश्वरी, राजेश फरकिया और असेसमेंटकर्ता राजेन्द्र गुप्ता और पेगासस असेस्ट्स री कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. मुंबई के सभी संचालकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिए।

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