नई दिल्ली (New Dehli) । जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir)के उधमपुर रेलवे स्टेशन (railway station)का नाम बदलकर (By changing)अब शहीद कैप्टन तुषार महाजने (Captain Tushar Mahajane)के नाम कर दिया गया है। रेलवे स्टेशन का बोर्ड भी बदल दिया गया है। इस मौके पर तुषार महाजन के बचपन का एक निबंध फिर चर्चा का विषय बन रहा है। उनके दोस्त आज उनका स्कूल में लिखा गया निबंध याद करते हैं और कहते हैं कि उस उम्र में कई बच्चे जानते भी नहीं थे कि आतंकवादी क्या होते हैं। लेकिन तुषार ने बचपन से ही सेना में जाकर आतंकियों से लड़ने की ठान ली थी।
तुषार के बचपन के एक दोस्त सुशांत ने बताया था कि जब कक्षा में निबंध लिखने को कहा गया तो उन्होंने अपना लक्ष्य बता दिया। उन्होंने लिखा कि वह सेना में भर्ती होकर आतंकियों का खात्मा करना चाहते हैं। 16 साल की उम्र में ही उनका चयन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में हो गया था। कहा जाता है कि कैप्टन तुषार के मां-बाप उन्हें इतनी कम उम्र में खुद से दूर नहीं करना चाहते थे लेकिन वे भी उनकी राष्ट्रभक्ति के आगे विवश हो गए और फिर उन्हें रोकना ठीक नहीं समझा।
कैसे शहीद हुए थे कैप्टन तुषार महाजन
कैप्टन तुषार महाजन 9 पैरा के अधिकारी थे। साल 2016 में पुलवामा में जम्मू- कश्मीर उद्यमिता विकास संस्थान पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया था। ऐसे में कैप्टन तुषार और उनके साथियों ने मोर्चा संभाला। कैप्टन तुषार ने एक आतंकवादी को ढेर कर दिया। लेकिन साथी जवानों की रक्षा करने के दौरान उन्हें चार गोलियां लग गईं। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन ज्यादा खून निकल जाने के वजह से बचाया नहीं जा सका।
बता दें कि तुषार के पिता रिटायर्ड स्कूल प्रिंसिपल हैं। इस पल को देखकर वह एक बार फिर भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि अब हर शख्स देखेगा कि तुषार कौन था। उन्होंने कहा कि पूरे उधमपुर वासियों की मांग थी कि रेलवे स्टेशन का नाम तुषार के नाम पर रखा जाए। यह युवाओं के लिए प्रेरणा के तौर पर काम करेगा। गृह मंत्रालय ने 6 सितंबर को उधमपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलने को मंजूरी दे दी थी। उधमपुरके लोगों ने इसके लिए केंद्र सरकार से मांग की थी।
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