राजू रामटेक्कर
लांजी। सिविल अस्पताल लांजी में भले ही मरीजों के इलाज की पर्याप्त सुविधाएं न हों पर बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम के शासकीय परिसर में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इन सुविधाओं का लाभ देने के लिए सिविल अस्पताल के डॉक्टर मरीजों से मनमानी शुल्क जरूर ले लेते हैं। यहां बीएमओ से लेकर डॉक्टर तक सभी की ऐसी सेटिंग है कि गरीब मरीज लुट रहे हैं और डॉक्टर फ ल-फूल रहे हैं। यहां पदस्थ महिला डॉ. सुजाता गेडाम जो बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम की धर्मपत्नी है अपने पति और सिविल अस्पताल लांजी के बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम के साथ ही शासकीय आवास में क्लीनिक चलाकर गर्भवती महिलाओं की जांच करती हैं और गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी करने हेतु अपने परिचित आमगांव महाराष्ट्र में संचालित सोनोग्राफी सेंटर में भेजा जाता है जहां नियत शुल्क से कहीं अधिक ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं ने शुल्क वसूला जा रहा है। यही कारण है कि आज तक बीएमओ द्वारा सिविल अस्पताल में सोनाग्राफी की मशीन होते हुए भी अल्ट्रासाउंड टेक्रीशियन की मांग नहीं की जा रही है।
शासकीय आवास बना प्राईवेट प्रेक्टिस सेंटर
अग्रिबाण की टीम जब डॉ. बीएमओ के शासकीय आवास में यहां की हकीकत जानने पहुंची तो देखा कि कुछ महिलाएं बीएमओ डॉ. गेडाम के घर के सामने बैठी हैं जहां उनका प्राईवेट इलाज महिला चिकित्सक डॉ. सुजाता गेडाम के द्वारा किया जा रहा था। थोड़ी देर रुके तो नाजारा साफ है मैडम ने उन्हें सोनोग्राफी जांच लिखी और बोला जाकर आमगांव महाराष्ट्र के सोनोग्राफी सेंटर से जांच करवा लो इससे सोनोग्राफी सेंटर चलाने वाले भी खुश और मैडम का भी कमीशन पक्का। सिविल अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद मशीन धूल खा रही है परंतु नियमित टेक्रिशियन की मांग नहीं की जा रही है।
हमेशा व्यस्तता का हवाला देती हैं डॉ सुजाता गेडाम
लगातार देखने में आया है की जब भी लांजी क्षेत्र में सोनोग्राफी या उससे जुड़ी कोई समस्या उठाई जाती है तो सिविल अस्पताल लांजी में पदस्थ चिकित्सक डॉ. सुजाता गेडाम द्वारा हमेशा ही अपनी व्यस्तता का हवाला दिया जाता है जबकि नगर की प्रबुद्ध जनता सब जानती है की मैडम शासकीय अस्पताल में कम और शासकीय परिसर में बने अपने परिसर के क्लीनिक में ही ज्यादा व्यस्त रहती हैं।
लांजी में स्वयं का आवास, पर नहीं छूट रहा शासकीय आवास का मोह
यहां यह बताना लाजमी है की बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम का स्वयं का एक आवास लांजी-बालाघाट रोड पर है जो सभी सेवाओं से परिपूर्ण है परंतु डॉ. गेडाम दंपत्ति द्वारा उस आवास में स्वयं न रहते हुए उसे किराये पर देकर शासकीय आवास में कब्जा जमाए बैठे है ताकि उच्चाधिकारियों की नजर में हमेशा शासकीय अस्पताल में सेवा देना दर्शाया जा सके। वहीं डॉ. सुजाता गेडाम द्वारा भारी कमीशन और लाभ कमाने के उद्देश्य से सीजर ऑपरेशन के लिये पहुंची महिलाओं से एक सीजर ऑपरेशन के 7 से 8 हजार रूपये वसूले जा रहे है और उनसे निजी दवाई दुकानों से दवाई खरीदने के लिये मजबूर किया जाता है और तो और इनकी मनमानी यहां नहीं थमती डॉ. सुजाता गेडाम द्वारा महिला मरीजों से सीजर के लिये राशि वसूलने के बावजूद उनका सीजर शासकीय अस्पताल में किया जाता है।
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