निगम का दावा…1 लाख 40 हजार श्वानों की नसबंदी की, एक श्वान की नसबंदी पर 925 रुपये का खर्च, वार्डों में हर रोज श्वान के काटने की कई घटनाएं
इन्दौर। हैदराबाद की कंपनी और एक अन्य को नगर निगम ने 2015 में श्वानों की नसबंदी का काम सौंपा और तब से लेकर आज तक यह अभियान चल रहा है। दावा है कि 1 लाख 40 हजार श्वानों की नसबंदी की गई, लेकिन जिन वार्डों में यह अभियान चलाया गया, वहीं श्वान काटने की घटनाएं सर्वाधिक हो रही हैं। एक श्वान की नसबंदी पर संस्था को 925 रुपये का भुगतान किया जाता है। दो संस्थाओं को अब तक 8 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और चार करोड़ के बिल पेंडिंग हैं।
शहर में श्वानों के आंतक के कारण झोनों से लेकर निगम कंट्रोल रूम तक शिकायतें आती हैं और कई जगह पांच से सात घटनाएं हो रही हंै। इस मामले को लेकर निगम अफसरों को शिकायतें भी गईं, लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। मध्य क्षेत्र के कई वार्डों में श्वानों की सर्वाधिक शिकायतों के चलते वहां अभियान चलाया गया था और श्वानों की नसबंदी की गई थी, लेकिन उसके बावजूद उन वार्डों में फिर से श्वानों के आतंक के कारण लोग परेशान हैं। निगम ने वर्ष 2015 में वेस्ट सोसायटी फार एनिमल वेलफेयर हैदराबाद को श्वानों की नसबंदी का काम सौंपा था। बदले में उन्हें ट्रेंचिंग ग्राउंड और छावनी का सेंटर उपलब्ध कराया गया, जहां श्वानों की नसबंदी हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक उक्त संस्था के अलावा एक अन्य संस्था को भी यह काम सौंपा गया है और हर रोज 10 से 12 श्वानों की नसबंदी की जा रही है। अब तक दोनों संस्थाओं को 8 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है और 4 करोड़ के बिल पेंडिंग है। एक श्वान की नसबंदी पर निगम 925 रुपये का भुगतान करता है।
शहर में कुल कितने श्वान, यह भी जानकारी नहीं
दोनों संस्थाओं को यह जानकारी नहीं है कि शहर में कितने श्वान है और नसबंदी के बावजूद संख्या कैसे बढ़ रही हैं। इस पर अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के वार्ड जुडऩे के कारण श्वान की संख्या बढ़ी है, लेकिन कुल कितने हैं, इसकी जानकारी अब तक निगम के पास भी नहीं है। अफसर कह रहे हैं कि दो से तीन लाख नसबंदी और होना है। अब तक 1 लाख 40 हजार नसबंदी की जा चुकी है।
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