– जिनके पास लाइसेंस हैं, उन्हें नए सिरे से नई समिति से अनुमति लेना अनिवार्य
– जरूरतमंद लोगों को ब्लड के लिए भटकना पड़ रहा है, आग्रह पर भी टीम नहीं आ रही
इंदौर।
केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा हाल ही में ब्लड बैंकों के संचालन के लिए बनाए गए नियम-कायदों से ब्लड बैंक वाले परेशान हो गए हैं। जिनके पास पूर्व से ब्लड बैंक के लाइसेंस का संचालन है, उन्हें अब नए सिरे से गठित की गई रक्ताधान समिति की अनुमति लेना होगी। ब्लड बैंक वाले समिति से निरीक्षण का कई बार आग्रह कर चुके हैं, मगर समिति की टीम निरीक्षण के लिए नहीं आ रही है। इसके चलते जरूरतमंद लोगों को ब्लड के लिए भटकना पड़ रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा नार्को की पहले एड्स कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें ब्लड बैंकों में एड्स सहित अन्य गंभीर बीमारियों की जांच की सुविधा भी उपलब्ध कराना थी। हाल ही में कमेटी ने ब्लड बैंकों में कोरोना वायरस की जांच की मशीनें लगाना भी अनिवार्य किया है। आदेश के बाद कई ब्लड बैंक वालों ने लाखों रुपयों की अत्याधुनिक मशीनें भी खरीदीं, मगर अभी इनका पूरी तरह उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्योंकि आदेश आया है कि जब तक रक्ताधान समिति इन मशीनों के संचालन की अनुमति नहीं देगी, तब तक इन मशीनों का उपयोग नहीं किया जा सकता। रक्ताधान समिति की अनुमति मिलने के बाद ही डिप्टी ड्रग्स कंट्रोलर द्वारा ब्लड बैंकों का लाइसेंस रिन्यू किया जाएगा। इस संबंध में मध्यप्रदेश थेलेसीमिया वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को लिखित में शिकायत की है, जिसमें कहा है कि ड्रग्स कंट्रोलर द्वारा लाइसेंस न देने के कारण थेलेसीमिया सहित अन्य गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को समय पर ब्लड नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण कई बार ऐसे मरीजों की जान तक खतरा पैदा हो रहा है। हाल ही में सोसायटी के नंदानगर स्थित अस्पताल में पचास लाख से अधिक की अत्याधुनिक मशीनें लगी हैं, मगर लाइसेंस न होने के कारण अत्याधुनिक ब्लड बैंक भी शुरू नहीं हो पाया है। इसी तरह की स्थिति अन्य ब्लड बैंक वालों की भी बनी हुई है। नए नियम-कायदों का पालन करने के लिए ब्लड बैंक के संचालकों ने कई सुविधा ब्लड बैंक में जुटाई हैं, मगर लाइसेंस के लिए उन्हें परेशान होना पड़ रहा है।
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