इंदौर, प्रदीप मिश्रा। नए साल में एमवायएच ब्लड बैंक को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मापदण्डों के हिसाब से हाईटेक किया जाएगा। अब ब्लड बैंक को जहां एक बार में एक साथ कई ब्लड ग्रुप की क्रॉस मैचिंग के लिए ऑटोमैटिक मशीन मिलेगी, वहीं एमवायएच से बाहर अन्य जरूरतमंद मरीजों के लिए ब्लड बैंक से दिए जाने वाले ब्लड बैग्स यानि खून की थैलियों में ब्लड की क्वालिटी सिक्यूरिटी के लिए लोकेशन ट्रैकर डिवाइस लगाया जाएगा। इस के जरिये ब्लड बैंक अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर ब्लड की मेडिकल टेम्प्रेचर सिक्यूरिटी और लोकेशन की मॉनिटरिंग यानि निगरानी कर सकेगा। यह लोकेशन ट्रैकर डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम के माध्यम से ब्लड बैंक से कनेक्ट रहेगा। इस लोकेशन ट्रैकर से यह पता लगाया जा सकेगा कि ब्लड बैंक से रवाना हुआ ब्लड कितनी देर तक कहां-कहां पहुंचा व मरीज को कितनी देर बाद यह ब्लड चढ़ाया गया। ब्लड बैंक प्रमुख डॉक्टर अशोक यादव ने बताया कि सम्भागायुक्त की पहल पर अब ब्लड बैग्स में लोकेशन ट्रैकर डिवाइस लगाए जाएंगे। यह लोकेशन ट्रैकर डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम आईडी के माध्यम से ब्लड बैंक से कनेक्ट रहेंगे। इसके माध्यम से ब्लड बैंक प्रबंधन को कम्प्यूटर स्क्रीन पर यह जानकारी मिलती रहेगी कि ब्लड रेफ्रिजरेटर से निकाले जाने के बाद कितने तापमान में कितनी देर बाहर सफर करता रहा।
फ्रिज से ज्यादा देर बाहर नहीं रख सकते
डॉक्टर यादव के अनुसार मेडिकल गाइड लाइन के हिसाब से उचित और जरूरी टेम्प्रेचर के लिए ब्लड बैग्स को हमेशा रेफ्रिजरेटर यानि फ्रिज में ब्लड की सुरक्षा के लिए तय तापमान के अंदर रखा जाता है। ज्यादा हाई टेम्प्रेचर में ब्लड के खराब होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। फ्रिज से बाहर निकालने के बाद ब्लड आधे घण्टे में जरूरतमन्द मरीज के हॉस्पिटल तक जरूर पहुंच जाना चाहिए, क्योंकि फ्रिज से ज्यादा देर तक बाहर रहने वाले ब्लड के मेडिकल कन्टेंट में बदलाव आने से मरीज की जान को खतरा भी हो सकता है। इसलिए अब ब्लड बैग में लोकेशन डिवाइस ट्रैकर लगाने की प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया गया है।
एक घंटे का काम अब 20 मिनट में
यह ब्लड बैंक टेक्नोलॉजी वाली हाईटेक मशीनों के अभाव में पुराने उपकरण सीमित संसाधनों के साथ ओल्ड मैन्युअल सिस्टम से यानि पारंपरिक तरीके से काम करता आ रहा है। इसलिए समय की बचत करने और ब्लड पर निगरानी रखने के ब्लड बैंक को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के मापदंडों के हिसाब से हाईटेक करने के चलते ब्लड बैंक में ऑटोमैटिक ब्लड ग्रुप क्रॉस मैचिंग मशीन लगवा रहे हैं, जिससे एक साथ कई ब्लड ग्रुप की क्रॉस मैचिंग जांच सिर्फ 20 मिनट में हो सकेगी। फिलहाल जांच करने में लगभग 1 घण्टे का समय लगता है।
ब्लड रखने के लिए
नए रेफ्रिजरेटर
पहले यह ब्लड बैंक एमवायएच की पैथालॉजी लैबोरेटरी में अटैच थी। कई सालों बाद इसे पैथालॉजी से अलग कर ब्लड बैंक का स्वतन्त्र विभाग बनाया गया है। तब से अब तक ब्लड बैग्स रखने के लिए 6 अमेरिकन ब्लड रेफ्रिजरेटर का इस्तेमाल किया जा रहा है। मगर अब हाईटेक सिस्टम के लिए और नए ब्लड रेफ्रिजरेटर खरीदेंगे।
एक ब्लड बैग पर 30 रुपए खर्च आएगा
प्रदेश में सबसे ज्यादा ब्लड संग्रह करने वाले सबसे बड़े और सबसे पुराने इस ब्लड बैंक का अंतरराष्ट्रीय मापदंड के हिसाब से अत्याधुनिकीकरण किया जा रहा है। सम्भागायुक्त की पहल और दिशा निर्देश पर इस योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। एक ब्लड बैग यानि खून की थैली पर लोकेशन ट्रैकर डिवाइस लगाने में लगभग 30 रुपए का खर्च आएगा। -डॉक्टर अशोक यादव, प्रमुख अधिकारी, एमवायएच ब्लड बैंक
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