काबुल। अफगानिस्तान (Afghanistan) के उत्तरी कुंदुज प्रांत (Northern Kunduz Province of Afghanistan) में शुक्रवार को शिया मुस्लिमों (Shia Muslims) को निशाना बनाकर मस्जिद पर हुए घातक विस्फोट (blast on mosque) में 100 से अधिक लोग मारे गए(more than 100 people died), जबकि कई लोग घायल हो गए। इस आतंकवादी हमले(terrorist attacks) की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खुरासान, जिसे ISIS-K के नाम से भी जाना जाता है, ने ली है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, 26 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर हुए आत्मघाती बम विस्फोट के बाद से यह आतंकी समूह आईएसआईएस खुरासान का सबसे घातक हमला था, जिसमें लगभग 170 नागरिक और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे।
रशिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार का विस्फोट अफगानिस्तान के उत्तरी कुंदुज प्रांत में सैयद अबाद मस्जिद में उस वक्त हुआ, जब स्थानीय निवासी शुक्रवार की नमाज के लिए मस्जिद में शामिल हुए थे। इस विस्फोट में अब तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। स्पुतनिक ने चश्मदीद के हवाले से बताया कि मस्जिद में हुए विस्फोट में 100 से ज्यादा लोग मारे गए और करीब 20 लोग घायल हो गए।”
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से आईएसआईएस से जुड़े आतंकवादी हमले बढ़ गए हैं। आतंकवादी हमलों में वृद्धि ने दोनों समूहों के बीच व्यापक संघर्ष की संभावना को बढ़ा दिया है। इससे पहले रविवार को काबुल की एक मस्जिद में हुए विस्फोट में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और 32 अन्य घायल हो गए थे। घटना काबुल की ईदगाह मस्जिद में भीड़भाड़ वाली जगह पर हुई थी। आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने मस्जिद में हुए बम धमाके की जिम्मेदारी ली और अपने दावे में आईएस ने आत्मघाती हमलावर की पहचान एक उइगर मुस्लिम के तौर पर की और कहा कि हमले में शियाओं और तालिबान दोनों को निशाना बनाया गया जो कि चीन से उइगरों की मांगों को पूरा करने में बाधा बन रहे हैं। इस्लामिक स्टेट समूह के आतंकवादियों का अफगानिस्तान के शिया मुस्लिम अल्संख्यकों पर हमला करने का लंबा इतिहास रहा है। शुक्रवार को जिन लोगों को निशाना बनाया गया, वे हजारा समुदाय से हैं, जो सुन्नी बहुल देश में लंबे समय से भेदभाव का शिकार बनते रहे हैं। यह हमला अमेरिका और नाटो सैनिकों की अगस्त के अंत में अफगानिस्तान से वापसी और देश पर तालिबान के कब्जे के बाद एक भीषण हमला है। गोजर ए सैयद अबाद मस्जिद में शुक्रवार की नमाज के दौरान विस्फोट ऐसे समय में हुआ है, जब तालिबान सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश कर रहा है और उसके लिए यह एक नयी सुरक्षा चुनौती है। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने शुक्रवार के हमले की निंदा की और कहा कि यह धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा की पद्धति का हिस्सा है।