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काला चश्मा और बुलेट… महाकुंभ में नजर आए ‘बवंडर’ बाबा, 47 महीने से कर रहे भारत भ्रमण

January 31, 2025

इंदौर: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ (Maha Kumbh) से रोजाना ही नई तस्वीरें सामने आ रही हैं. कई साधु-बाबाओं ने इस बार खूब सुर्खियां बटोरी हैं. इनमें से एक हैं मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) से आए ‘बवंडर’ बाबा (Bawandar Baba). बुलेट पर सवार, काला चश्मा लगाए बवंडर बाबा जो 47 महीने से देश के भ्रमण पर हैं. उनके इस भारत दौरे (India Tour) का एक ही मकसद है, हिन्दुओं (Hindus) को समझाना कि देवी-देवताओं के चित्र और प्रतिमाओं का अपमान न होने दें.

बवंडर बाबा ने कहा, “हर हर महादेव! हम बवंडर बाबा मध्य प्रदेश के इंदौर से आए हैं. हम 47 महीने से पूरे भारत की यात्रा पर निकले हैं. इंदौर से 21 फरवरी 2021 को यात्रा आरंभ की थी. हमारी यात्रा का संकल्प है हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा का अपमान हिन्दुओं द्वारा क्यों किया जा रहा है? लोग शादी के कार्ड पर भगवान की फोटो छपवाते हैं. कपूर, अगरबत्ती और पटाखों पर भी भगवान की तस्वीर होती है, जो बाद में फेंक दी जाती है.”


बवंडर बाबा ने कहा, “अभी 2025 लग गया है. हिन्दू जनमानस के घरों में एक साल तक जिन कैलेंडर पर भगवान के फोटो हैं, उनके सामने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की. एक साल बाद उन्हीं कैलेंडर को रद्दी वालों को दे दिया. रद्दी वाले ने वही कागज अंडे वाले को दे दिए और वो चित्र अपमानित हुए. हिन्दू लोग अपने घर पर भगवान की प्रतिमाएं बड़े सम्मान ले लेकर आता है. हालांकि, कुछ समय बाद जब वह खंडित हो जाती हैं तो सड़कों पर या पीपल के नीचे उन्हें अपमानित होने के लिए छोड़ कर चले जाते हैं. हमारा प्रयास है पूरे देश में हिन्दुओं द्वारा देवी-देवताओं के चित्रों का अपमान बंद कराना.”

सभी हिन्दुओं से अनुरोध है कि फटी तस्वीरों या खंडित प्रतिमाओं को सम्मानजनक रूप से हटाने की तीन प्रक्रियाएं सनातन धर्म में बताई गई हैं. पहला, चित्रों को भूमिगत कर दिया जाए. दूसरा अग्नि में भस्म कर दें या फिर जल में प्रवाह कर दें. अपमानित होने के लिए इधर-उधर न छोड़ें. अन्य मजहब के लोग अपने पंथ के चित्रों का ना अपमान करते हैं और न ही होने देते हैं. जब जड़ नहीं रहेगी तो पेड़ कहां से रहेगा, जब धर्म नहीं रहेगा तो देश कहां से रहेगा?

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