डेस्क। ‘घर में रखे फ्रिज और प्याज से भी ब्लैक फंगस (Black Fungus) हो सकता’। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि सोशल मीडिया (Social Media) पर ये दावा किया जा रहा है। आज हम इसी दावे के पीछे की सच्चाई के बारे में बताएंगे, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
फेसबुक पर वायरल एक पोस्ट में ये दावा किया जा रहा है कि, ‘घरेलू ब्लैक फंगस से सावधान रहें। अक्सर जब आप प्याज खरीदते हैं, तो आपने उस पर एक काली परत जरूर देखी होगी। ये ब्लैक फंगस है। रेफ्रिजरेटर के अंदर रबर पर दिखाई देने वाली काली फिल्म भी ब्लैक फंगस है। अगर इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह काला फंगस फ्रिज में रखे खाद्य पदार्थों के जरिए आपके शरीर में आसानी से घुस सकता है।’
जब हमने इस दावे की पड़ताल की तो पता लगा कि रेफ्रिजरेटर के अंदर एक काला मोल्ड बनाने वाला फंगस और प्याज पर काली परत बनाने वाला फंगस, म्यूकोर माइकोसिस का कारण बनने वाले फंगस से बिल्कुल अलग है। यानी ये साफ हो गया कि फेसबुक पर वायरल ये दावा झूठा है, और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस कुछ लोगों ने सिर्फ जनता के मन में डर पैदा करने के लिए वायरल किया है।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया (Randeep Gularia) ने कहा है कि फंगल संक्रमण को रोकने के लिए आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के मामलों में कमी आने से फंगल संक्रमण के मामलों में कमी आने की संभावना है।
‘ब्लैक फंगस’ शब्द की उत्पत्ति पर बोलते हुए, गुलेरिया ने कहा, ‘याद रखने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि म्यूकोर माइकोसिस ब्लैक फंगस नहीं है। यह एक गलत नाम है। दरअसल, ब्लड की सप्लाई कम होने के कारण त्वचा का रंग कुछ फीका पड़ जाता है। इससे ऐसा लगता कि वह जगह काली हो गई। जिसके चलते इसे ब्लैक फंगस नाम मिला।
देशभर में अभी तक ब्लैक फंगस के 11,717 मामले मिल चुके हैं। ये संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ये दावे लोगों के मन में भय पैदा कर रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि हम सभी को संक्रमण का मुकाबला करने के साथ ही झूठी खबरों और दावों से दूर रहना है और खुद को सुरक्षित भी रखना है।
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