उज्जैन। नकली बायोडीजल बनाने का काला धंधा पिछले 6 माह से चक कमेड़ में चल रहा था जिस पर कल खाद्य विभाग ने कार्रवाई की। यहाँ से 6000 लीटर नकली डीजल पकड़ा। शाजापुर का एक युवक पिछले 6 महीने से यह धंधा कर रहा था। इस पर रासुका लगेगी।
कल दोपहर में जिला खाद्य नियंत्रक मोहन मारू एक रिटायरमेंट की पार्टी में मंगलनाथ से लौट रहे थे। इसी दौरान वे पूर्व सूचना के अनुसार चक गांव में रेकी करने पहुँचे तो वहाँ बायोडीजल एक ट्रक में भरा जा रहा था। उन्होंने उस ट्रक को पकड़ा और तत्काल पुलिस बुलवाई और जहाँ नकली बायोडीजल बनता था उस घर में छापामार कार्रवाई की। यहाँ टीम को 6000 लीटर बायोडीजल और करीब 4 बोरी डीजल बनाने वाला केमिकल तथा 6000 टन के खाली ड्रम रखे हुए मिले। खाद्य नियंत्रक श्री मारू ने बताया शिवराज गुर्जर निवासी शाजापुर पिछले 6 माह से चक कमेड़ में किराए का मकान लेकर नकली बायोडीजल बनाने का धंधा संचालित कर रहा था, जिसे कल सूचना के बाद पकड़ा गया। उक्त युवक ट्रक चालकों और गाँव के ट्रैक्टर वालों को नकली बायोडीजल बेचता था और यह लोग इस डीजल को खरीदने में इसलिए उत्सुक रहते थे क्योंकि यह पेट्रोल पंप पर मिलने वाले डीजल से 30 रुपए सस्ता मिलता था। अभी फिलहाल पेट्रोल पंप पर डीजल का भाव 100 रुपए के आसपास पहुँच गया है और यह डीजल 65 से 70 रुपए लीटर में मिलता है। सस्ते में यह डीजल लोग खरीद तो रहे हैं लेकिन उक्त डीजल से 6 महीने में ही वाहनों के पार्ट्स खराब होने लगते हैं। आज उक्त युवक के खिलाफ कलेक्टर के समक्ष मामला पेश किया जाएगा। संभावना है कि इस व्यक्ति के खिलाफ रासुका की कार्रवाई हो सकती है। पुलिस अब नकली डीजल बनाने के अन्य ठिकाने भी पता लगाएगी।
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